पुरानी गाड़ियों की खरीद-बिक्री के लिए लाइसेंस अनिवार्य, परिवहन विभाग ने लिया फैसला
पुरानी गाड़ियों की खरीद-बिक्री के लिए लाइसेंस अनिवार्य, परिवहन विभाग ने लिया फैसला


कोलकाता, 04 जून (हि. स.)। अगर आप पश्चिम बंगाल में पुरानी गाड़ियों की खरीद-बिक्री का कारोबार शुरू करना चाहते हैं तो आपको अब से परिवहन विभाग से लाइसेंस लेना होगा। हाल ही में परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती के नेतृत्व में पुरानी गाड़ियों की खरीद-बिक्री से जुड़े कारोबारियों के साथ एक बैठक आयोजित की गई थी। उस बैठक में बताया गया कि अगले जून से पुरानी कारों की खरीद-बिक्री का कारोबार शुरू करने के लिए परिवहन विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। साथ ही कारोबार में जिन कई नीतियों का पालन करना होगा, उनकी भी जानकारी दी गई है। परिवहन विभाग की ओर से दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

इस नए लाइसेंस को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक व्यापारी को 25 हजार रुपये की एकमुश्त जमा राशि जमा करनी होगी।

परिवहन विभाग के अनुसार, यह नया नियम पुराने यात्री वाणिज्यिक वाहनों, बसों, मिनी बसों, टैक्सी कैब और ऑटो की खरीद-बिक्री के लिए प्रभावी होगा। इसके अलावा, उन व्यापारियों के पास गैरेज होना अनिवार्य है। गाड़ियों को स्टोर करने के लिए एक बड़ी जगह भी होनी चाहिए। हाल ही में, परिवहन विभाग को पता चला कि उनके पास जो सूची है, उसमें केवल 39 कंपनियां हैं जो पुरानी कारों की खरीद-बिक्री के कारोबार में हैं। लेकिन वास्तव में, हजारों कंपनियां न केवल कोलकाता शहर में, बल्कि उपनगरों और विभिन्न जिलों में भी इस तरह का कारोबार कर रही हैं। उसके बाद, परिवहन विभाग के अधिकारियों ने एक बैठक में बैठकर इस मामले को परिवहन मंत्री के ध्यान में लाया। उसके बाद, परिवहन विभाग ने इस नए नियम को लागू करने के लिए मंजूरी की मुहर लगा दी।

परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने बुधवार को कहा कि अब तक राज्य सरकार के पास पुरानी कारों की खरीद-फरोख्त को लेकर कोई सटीक जानकारी और हिसाब-किताब नहीं था। अगर इस नए नियम का पालन किया जाता है तो कौन सी कार कहां जा रही है, किसका मालिकाना हक बदल रहा है आदि का साफ हिसाब-किताब होगा। ऐसे में सारा हिसाब-किताब परिवहन विभाग के पोर्टल पर दिया जाएगा। नतीजतन, अगर कोई पुरानी कारों के बारे में कोई जानकारी जानना चाहेगा तो आसानी से पा सकेगा। अधिकारियों के ऐसा कहने के बावजूद परिवहन विभाग के एक सूत्र का कहना है कि पुरानी कारों से जुड़ी कई आपराधिक घटनाएं राज्य के अलग-अलग हिस्सों में होती हैं। उस समय पुलिस और प्रशासन को असली अपराधी को खोजने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। इसलिए अगर यह नई व्यवस्था लागू होती है तो न सिर्फ गाड़ियों की अदला-बदली कर अपराध करने की प्रवृत्ति में कमी आएगी, बल्कि पुलिस और प्रशासन को विभिन्न आपराधिक घटनाओं की जांच करने में भी सहूलियत होगी। साथ ही, पुरानी गाड़ियों की खरीद-फरोख्त से परिवहन विभाग को जो राजस्व का नुकसान हो रहा था, उसकी भरपाई भी आसानी से हो सकेगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय