स्थाई लोक अदालत ने सरकार को अनचाही संतान पर मुआवजा देने का दिया निर्देश
इलाहाबाद हाईकाेर्ट


-महिला की नसबंदी में चूक का मामला

प्रयागराज, 04 जून (हि.स.)। प्रयागराज की स्थाई लोक अदालत ने एक महिला की नसबंदी के बाद बच्ची पैदा होने पर डॉक्टरों की गंभीर चूक माना है। लोक अदालत ने डॉक्टर के इस गंभीर चूक के लिए सरकार को प्रार्थी तथा उसकी अनचाही संतान को मुआवजा देने का निर्देश दिया है।

यह आदेश प्रयागराज के स्थाई लोक अदालत के चेयरमैन विकार अहमद अंसारी तथा सदस्य डॉ. रिचा पाठक व सत्येन्द्र मिश्रा ने दिया है। आदेश में लोक अदालत ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह याची के अनचाही संतान बच्ची के पोषण के लिए दो लाख रुपये तथा उसके शिक्षा, रखरखाव आदि के लिए 5 हजार रुपये प्रतिमाह बच्ची की 18 वर्ष की आयु तक अथवा उसके ग्रेजुएशन की डिग्री लेने तक, जो भी पहले हो भुगतान करे। यही नहीं स्थाई लोक अदालत ने मां को भी नसबंदी विफल होने पर हुई मानसिक एवं शारीरिक पीड़ा के लिए 20 हजार रूपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है।

मामले के अनुसार याची अनीता देवी ने प्रयागराज की स्थाई लोक अदालत में अर्जी दाखिल कर नसबंदी में विफलता को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी तथा डॉक्टर की गलती के लिए कोर्ट से मुआवजे की मांग की थी। याची एक गरीब महिला है। उसने मऊआइमा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नीलिमा से नसबंदी कराई थी। उसे बताया गया था कि उसकी नसबंदी सफल हो गई है और उसे अब आगे बच्चा पैदा नहीं होगा।

आपरेशन के कुछ दिनों बाद याची महिला को परेशानी हुई तो उसने अल्ट्रासाउंड कराया। 31 जनवरी 2014 को पता चला कि उसके पेट में 16 सप्ताह 6 दिन का बच्चा है। उसे लड़की पैदा हुई। इस घटना से दुखी याची ने सीएमओ प्रयागराज को पक्षकार बनाते हुए स्थाई लोक अदालत में वाद दायर किया था तथा डाक्टरों की इस गंभीर चूक के लिए मुआवजे की मांग की थी।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे