लोक सभा अध्यक्ष सीपीए इंडिया जोन-II सम्मेलन का धर्मशाला में करेंगे उद्घाटन, सुशासन और नवाचार पर होगा मंथन
नई दिल्ली, 28 जून (हि.स.)। डिजिटल युग में सुशासन, संसाधनों का प्रबंधन और लोकतंत्र की रक्षा जैसे अहम विषयों पर केंद्रित कॉमनवेल्थ पार्लियामेंटरी एसोसिएशन (सीपीए) इंडिया रीजन जोन-II का वार्षिक सम्मेलन 30 जून से 01 जुलाई तक धर्मशाला के तपोवन स्थित विधान
लोक सभा अध्यक्ष सीपीए इंडिया जोन-II सम्मेलन का धर्मशाला में करेंगे उद्घाटन, सुशासन और नवाचार पर होगा मंथन


नई दिल्ली, 28 जून (हि.स.)। डिजिटल युग में सुशासन, संसाधनों का प्रबंधन और लोकतंत्र की रक्षा जैसे अहम विषयों पर केंद्रित कॉमनवेल्थ पार्लियामेंटरी एसोसिएशन (सीपीए) इंडिया रीजन जोन-II का वार्षिक सम्मेलन 30 जून से 01 जुलाई तक धर्मशाला के तपोवन स्थित विधानसभा परिसर में आयोजित किया जाएगा। इस दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा किया जाएगा।

लोक सभा सचिवालय की ओर से शनिवार को जारी एक बयान के अनुसार इस सम्मेलन का विषय “डिजिटल युग में सुशासन: संसाधनों का प्रबंधन, लोकतंत्र की रक्षा और नवाचार को अपनाना” है। इसमें देश के विभिन्न राज्यों से विधायिका के सदस्य, विशेषज्ञ एवं गणमान्य व्यक्ति शामिल होकर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को और अधिक सशक्त बनाने पर मंथन करेंगे।

सम्मेलन का उद्घाटन सत्र प्रदेश के राजनीतिक और संवैधानिक गरिमा का परिचायक होगा। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर और संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे।

सम्मेलन में विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधि संसदीय कार्य प्रणाली, सुशासन, संसाधनों के बेहतर उपयोग, विधायी प्रक्रिया में तकनीक विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल और दलबदल विरोधी प्रावधानों जैसे समसामयिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे।

इस आयोजन को एक आध्यात्मिक स्पर्श देते हुए परम पूज्य दलाई लामा के साथ विशेष संवाद भी आयोजित किया जाएगा, जिससे सम्मेलन में आत्म-मंथन और शांति का संदेश समाहित हो सके।

समापन समारोह में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला एक जुलाई को समापन भाषण देंगे। सम्मेलन का उद्देश्य लोकतांत्रिक संस्थाओं को सशक्त करना, शासन में नवाचार को बढ़ावा देना और राज्यों के बीच सर्वोत्तम विधायी प्रथाओं का आदान-प्रदान सुनिश्चित करना है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार