इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स और एमजीसीयू के बीच हुआ अकादमिक सहयोग हेतु समझौता
पूर्वी चंपारण, 25 जून (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय संबंधों एवं भारतीय विदेश नीति के क्षेत्र में शैक्षणिक और नीतिगत सहयोग को सुदृढ़ बनाने को लेकर महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय और इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स (आईसीडब्ल्यूए), नई दिल्ली के बीच एक स
समझौता के बाद दोनो संस्था के प्रमुख


पूर्वी चंपारण, 25 जून (हि.स.)।

अंतरराष्ट्रीय संबंधों एवं भारतीय विदेश नीति के क्षेत्र में शैक्षणिक और नीतिगत सहयोग को सुदृढ़ बनाने को लेकर महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय और इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स (आईसीडब्ल्यूए), नई दिल्ली के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

यह समझौता ज्ञापन 25 जून 2025 को आईसीडब्ल्यूए के मुख्यालय, नई दिल्ली में आयोजित एक औपचारिक समारोह में एमजीसीयूबी के माननीय कुलपति प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव तथा आईसीडब्ल्यूए की कार्यकारी महानिदेशक सुश्री नूतन कपूर महावर द्वारा हस्ताक्षरित किया गया।

इस समझौते के अंतर्गत दोनों संस्थाएं अंतरराष्ट्रीय मामलों और भारतीय विदेश नीति से संबंधित विषयों पर संयुक्त रूप से शैक्षणिक संगोष्ठियों, सम्मेलनों, शोध परियोजनाओं तथा संवादात्मक कार्यक्रमों का आयोजन करेंगी। साथ ही, एमजीसीयूबी के विद्यार्थियों को आईसीडब्ल्यूए में इंटर्नशिप के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे, जिससे वे विदेश नीति विश्लेषण और थिंक टैंक अनुसंधान के क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त कर सकें।

कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने कहा,यह समझौता विश्वविद्यालय की वैश्विक सहभागिता और शैक्षणिक उत्कृष्टता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इससे विद्यार्थियों और शोधार्थियों को विश्व मामलों के विशेषज्ञों से प्रत्यक्ष संवाद का अवसर मिलेगा और उनके करियर की संभावनाएं और अधिक विस्तृत होंगी। वही आईसीडब्ल्यूए की कार्यकारी महानिदेशक नूतन कपूर महावर ने कहा, हम महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के साथ मिलकर एक ऐसा अकादमिक वातावरण निर्मित करने की आशा करते हैं जो विदेश नीति और वैश्विक विषयों पर विचार-विमर्श को प्रोत्साहित करे तथा विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास में सहायक हो।

उल्लेखनीय है कि आईसीडब्ल्यूए, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त थिंक टैंक है, जिसकी स्थापना वर्ष 1943 में की गई थी। यह संस्था अंतरराष्ट्रीय संबंधों और विदेश नीति पर शोध, संवाद और नीतिगत अध्ययन के लिए देश की अग्रणी संस्थाओं में से एक है।यह समझौता ज्ञापन दीर्घकालिक संस्थागत सहयोग का आधार बनेगा और वैश्विक विमर्श में भारत की बौद्धिक उपस्थिति को सशक्त करेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / आनंद कुमार