आपातकाल में छीन ली गई थी नागरिकों की स्वतंत्रता : दयालु
बलिया, 25 जून (हि.स.)। प्रदेश सरकार के मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने आपातकाल के काले अध्याय की 50वीं वर्षगांठ पर बुधवार को आयोजित गोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने अग्रवाल धर्मशाला में आयोजित गोष्ठी में कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि
इमरजेंसी पर कार्यक्रम


बलिया, 25 जून (हि.स.)। प्रदेश सरकार के मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने आपातकाल के काले अध्याय की 50वीं वर्षगांठ पर बुधवार को आयोजित गोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने अग्रवाल धर्मशाला में आयोजित गोष्ठी में कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए।

उन्होंने कहा कि 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान कई बेगुनाह लोगों को गोली मार दी गई। नागरिकों को जेल में डाला गया। लोगों की स्वतंत्रता छीन ली गई। इस घटना को याद करते हुए भाजपा पूरे देश में जन जागरण अभियान चला रही है। उन्होंने कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए कहा कि यह पार्टी सिर्फ अपने परिवार के हित में काम करती है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस शासन में जब परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री नहीं था, तब भी सुपर पीएम के नाम पर परिवार का नियंत्रण रहा। वास्तविक प्रधानमंत्री को स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दिया गया। कहा कि उस समय कि स्थिति काफी भयावह थी, जो भी इंदिरा गांधी या कांग्रेस के खिलाफ बोलता था उसे जेल में डाल दिया जाता था। कहा कि आज भाजपा के शासन में मीडिया और नागरिक स्वतंत्र हैं। कोई किसी का गुलाम नहीं है। उन्होंने कहा कि वे आपातकाल की याद को जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र पर काला धब्बा लगाते हुए पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल के बाद नागरिकों के मूल अधिकार स्थगित हो गया। 25 जून 1975 को पूरे भारतवर्ष में इमरजेंसी लगा दिया गया। मुख्य वक्ता पूर्व सांसद भरत सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद द्वारा संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आधिकारिक तौर पर जारी किया गया आपातकाल 25 जून 1975 से प्रभावी था और 21 मार्च 1977 को समाप्त हुआ। इस आदेश ने प्रधानमंत्री को शासन करने का अधिकार दिया, जिससे चुनाव रद्द किए जा सकें और नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित किया जा सके। आपातकाल के अधिकांश समय में इंदिरा गांधी के अधिकांश राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई । गांधी शासन द्वारा एक लाख से अधिक राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों और असंतुष्टों को कैद किया गया था। इस दौरान, उनके बेटे संजय गांधी द्वारा नसबंदी के लिए एक बड़े अभियान का नेतृत्व किया गया था।

आपातकाल लगाने का अंतिम निर्णय इंदिरा गांधी द्वारा प्रस्तावित किया गया था, जिस पर भारत के राष्ट्रपति ने सहमति व्यक्त की थी और जुलाई से अगस्त 1975 तक कैबिनेट और संसद द्वारा इसकी पुष्टि की गई थी। यह इस तर्क पर आधारित था कि भारतीय राज्य के लिए आसन्न आंतरिक और बाहरी खतरे थे।

राज्य सभा सदस्य नीरज शेखर ने उन दिनों का संस्मरण सुनाते हुए कहा कि उन दिनों हम लोग घूमने के लिए दूसरे प्रांत में एचएन शर्मा के साथ गए थे। किसी तरह बच के अपने घर न आकर एचएन शर्मा के ही घर ठहरे । बाद में अपने आवास पर आए। मेरे पिता चन्द्रशेखर जी ही एक मात्र ऐसे नेता थे जिन्हाेंने कांग्रेस में रहते हुए आपातकाल का विरोध किया था। उन्होंने जयप्रकाश नारायण को संत कहा। इसके चलते करीब 19 महीने तक चन्द्रशेखर जी जेल में रहे। उन्हाेंने बताया कि उन दिनों हम लोग आठ नौ साल के रहे होंगे। कहा कि आपातकाल का लोगों में इतना भय था कि हमारे घर उस दौरान कोई मिलने तक नहीं आया। साथ ही आपातकाल विरोध दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने नगर स्थित शहीद पार्क में पाैधरोपण भी किया।

जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा कहा कि देश में इमरजेंसी लगे आज 50 साल पूरे हो चुके हैं।उस समय कांग्रेस की सरकार थी और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। तब देश में ऐसा तूफान उठा, जिससे हर एक भारतीय को जूझना पड़ा था। आपातकाल का वो काला अध्याय आज ही लोगों के जेहन में बुरे सपने की तरह जिंदा है। इस अवसर पर कांग्रेस द्वारा लगाए गए आपात काल के पचासवें वर्ष के अवसर पर बुधवार को एक प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी में आपात काल में दिए गए यातना से सम्बन्धित पोस्टर लगाए गए थे, जो उस समय की अनदेखी कहानी बयां कर रही थी। कैसे-कैसे लोगों को आपातकालीन दंश झेलने पड़े। इस मौके पर लोकतंत्र रक्षक सेनानी गोपाल सिंह, देवेन्द्र त्रिपाठी,सुनिल बहादुर सिंह तथा ऋषि राज सिंह समेत डेढ़ दर्जन सेनानी को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व मंत्री राजधारी सिंह व संचालन पूर्व महामंत्री सुरजीत सिंह परमार ने किया। इस अवसर पर पूर्व विधायक शिवशंकर चौहान, विजय बहादुर सिंह, विनोद शंकर दूबे, जयप्रकाश साहू, धर्मेंद्र सिंह, धन्नजय कन्नौजिया, छठू राम, सुरेन्द्र सिंह, अमिताभ उपाध्याय, संजीव डम्पू, आलोक शुक्ला, अरुण सिंह बन्टू, अशोक यादव, नितेश मिश्रा, जावेद कमर खां, नितू पाण्डेय, सोनी तिवारी, श्वेता राय, संध्या पाण्डेय, अभिजीत तिवारी, नितेश सिंह, माधव प्रसाद, राजीव मोहन चौधरी, नकुल चौबे, डाॅ. धर्मेंद्र सिंह आदि उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / नीतू तिवारी