धरती आबा जनभागीदारी अभियान से अब तक 53 लाख से अधिक आदिवासी लाभान्वित
नई दिल्ली, 24 जून (हि.स.)। आदिवासी सशक्तीकरण के लिए शुरू धरती आबा जनभागीदारी अभियान अब तक 31 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के एक लाख से अधिक आदिवासी गांवों और बस्तियों को कवर करने वाला एक ऐतिहासिक अभियान बन गया है। पांच जून से 15 जुलाई तक चलने
धरआबा जनभागीदारी अभियान के तहत अभियान की समीक्षा करती केन्द्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण


नई दिल्ली, 24 जून (हि.स.)। आदिवासी सशक्तीकरण के लिए शुरू धरती आबा जनभागीदारी अभियान अब तक 31 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के एक लाख से अधिक आदिवासी गांवों और बस्तियों को कवर करने वाला एक ऐतिहासिक अभियान बन गया है। पांच जून से 15 जुलाई तक चलने वाले इस अभियान में केवल नौ दिनों में 53 लाख से अधिक आदिवासी नागरिकों को लाभान्वित किया जा चुका है।

जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि देश के कुछ सबसे दूरदराज और कम सुविधा वाले आदिवासी क्षेत्रों में आयोजित 22,000 से अधिक जनसेवा शिविरों के माध्यम से महत्वपूर्ण योजनाएं दरवाजे तक पहुंच गई हैं। अब तक 1.38 लाख से अधिक आधार नामांकन, 1.68 लाख आयुष्मान भारत कार्ड, 46,000 पीएम-किसान पंजीकरण, 22,000 नए पीएम उज्ज्वला लाभार्थी और 32,000 पीएम जन धन खाते खोले गए। अभियान के तहत कानूनी सहायता, पोषण सहायता, स्वास्थ्य जांच और वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) दावों की सुविधा प्रदान किया जा रहा है। अभियान को वास्तव में असाधारण बनाने वाली बात यह है लद्दाख के चांगथांग से लेकर केरल के सुल्तान बाथरी तक और गुवाहाटी से सीहोर तक, प्रत्येक क्षेत्र ने आदिवासी विरासत को अपनाते हुए स्थानीय जरूरतों के हिसाब से अभियान को अपनाया है।

इस अभियान के तहत हाल ही में लद्दाख में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रोंगो गांव में एक आंगनवाड़ी केंद्र का दौरा किया, चांगपा जनजाति के साथ बातचीत की और अभियान की समग्र स्वास्थ्य पहल के हिस्से के रूप में बाजरा आधारित पोषण को बढ़ावा दिया। मध्य प्रदेश में राज्यपाल मंगूभाई छगनभाई पटेल ने झोलियापुर बुदनी में अभियान का उद्घाटन किया।

यह अभियान भगवान बिरसा मुंडा को याद करता है, जिन्हें धरती आबा के रूप में सम्मानित किया जाता है - जो आदिवासी पहचान, प्रतिरोध और आत्मनिर्णय का प्रतीक है। अभियान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार है जो “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” की वकालत करते हैं। यह अभियान केवल प्रतीकात्मक नहीं है- यह सेवाओं, सामुदायिक भागीदारी और सांस्कृतिक उत्सव के बड़े पैमाने पर जुटने के माध्यम से संचालित होता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी