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हरिद्वार, 24 जून (हि.स.)। बीएचईएल के सेक्टर-चार स्थित सामुदायिक केन्द्र के सभागार में परिक्रमा साहित्यिक मंच की ओर से एक समसामयिक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें अनेक लोकप्रिय कवियों ने काव्य पाठ करके श्रोताओं की वाह-वाही लूटीं।
देर रात तक चली गोष्ठी में संस्था सचिव शशिरंजन समदर्शी ने गोष्ठी का संचालन करते हुए रे पहलगाम तुम सोना मत जब तक खूनी जिंदा हैं, आँखें सिन्दूरी बनी रहें, चहुँ ओर हो रही निंदा है, पहलगाम की आतंकी घटना के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए आपरेशन सिंदूर का महिमामंडन किया तो वरिष्ठ कवि साधुराम पल्ल्व ने वर्मान अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य कर चलते चेतावनी दी हालातों देख कर लगता यही कयास, धीरे-धीरे जा रहे है विश्व युद्ध के पास।
अरुण कुमार पाठक ने कहा आँधियाँ कितनी भी आयें, दीप तुम बुझने न देना, ख्वाब को मंजिल बनाना, पर कदम रुकने न देना। युवा जोश के कवि दिव्यांश दुष्यंत की पीड़ा थी अपनी काया से वस्त्र हटा अपने तन का प्रचार करो, इच्छा अपनी ही होती है, तुम करो शर्म या व्यापार। गीतकार भूदत्त शर्मा ने गुनगुनाया पांव धरती पर धरो तो, धीर भी धरना प्रिये, कंटकों के कोष में करुणा कभी नहीं होती। ढूँढता है फिर वही मन, दिन सुहाने गाँव के कह कर पारिजात अध्यक्ष सुभाष मलिक ने ग्रामीण परिदृश्य प्रस्तुत किया।
नीता नय्यर निष्ठा ने कहा मुहब्बत की यही एक खूबी है, कि ऐब उसमें कोई नजर नहीं आता। बंदना झा व आशा साहनी ने भी काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ज्वाला प्रसाद शांडिल्य ने अपना छंद बनकर देखो ऋषि-मुनि आप धुरंधर, आयेगा चलकर तब पास समन्दर सुनाकर सद्प्रेरित किया। बिजनौर से पधारे लोक कवि कर्म वीर सिंह, महेन्द्र कुमार व कुसुमाकर मुरलीधर पंत ने काव्य पाठ कर वाह वाही लूटी।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला