शान्ति जीवन का अमूल्य एवं शाश्वत सत्य: डॉ. शिवकुमार चौहान
हरिद्वार, 23 जून (हि.स.)। सक्रियता, सीखना एवं सोचना तीन आवश्यकताओं के परस्पर समन्वय से जनसामान्य का जीवन गतिमान एवं चलायमान बनता है। लेकिन जब यह समन्वय असन्तुलित होता है तब जनसामान्य से चलकर वैश्विक स्तर तक की व्यवस्थाओं को प्रभावित करके उनमें अस्थिर
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