Enter your Email Address to subscribe to our newsletters

राजौरी, 23 जून (हि.स.)। बलिदान दिवस के अवसर पर वरिष्ठ भाजपा नेता और भाजपा जम्मू-कश्मीर के महासचिव विबोध गुप्ता ने राजौरी स्थित पार्टी कार्यालय में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित की और राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए उनके अद्वितीय बलिदान को याद किया। समर्पित कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए विबोध ने डॉ. मुखर्जी की स्थायी विरासत पर जोर दिया और एकजुट और समृद्ध भारत, विकसित भारत के उनके सपने को पूरा करने के लिए पार्टी की प्रतिबद्धता दोहराई।
विबोध गुप्ता ने कहा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जम्मू-कश्मीर से गहरा भावनात्मक और वैचारिक जुड़ाव था। उन्होंने कभी सत्ता या पद के लिए काम नहीं किया उनका जीवन 'राष्ट्रीय एकता और अखंडता' के विचार को मजबूत करने के लिए समर्पित एक मिशन था। उन्होंने एक राष्ट्र के भीतर दो संविधान, दो झंडे और दो राष्ट्राध्यक्षों के विचार का दृढ़ता से विरोध किया। यह उनका अटूट विश्वास ही था जिसने उन्हें 23 जून, 1953 को श्रीनगर में हिरासत में रहते हुए सर्वोच्च बलिदान देने के लिए प्रेरित किया। विबोध ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साहसिक नेतृत्व की सराहना की जिनके निर्णायक नेतृत्व में अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया जिससे डॉ. मुखर्जी के एक निशान एक विधान, एक प्रधान के लंबे समय के सपने को पूरा किया गया।
उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं से डॉ. मुखर्जी के जीवन से प्रेरणा लेने और एक विकसित भारत, एक विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में अथक परिश्रम करने का आग्रह किया। विबोध ने दृढ़ता से कहा कि दशकों तक जम्मू-कश्मीर को पूरी तरह से एकीकृत करने में कांग्रेस की ऐतिहासिक विफलताओं और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का उनका लगातार विरोध केवल अलगाववादी और भारत विरोधी गतिविधियों को खुश करने का काम करता रहा।
उन्होंने कहा उनकी राजनीतिक अवसरवादिता और तुष्टिकरण की राजनीति डॉ. मुखर्जी के दृढ़ राष्ट्रवाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साहसिक नेतृत्व के बिल्कुल विपरीत है जिन्होंने वास्तव में 'एक निशान, एक विधान, एक प्रधान के उनके सपने को साकार किया।
हिन्दुस्थान समाचार / रमेश गुप्ता