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हल्द्वानी, 20 जून (हि.स.)। नैनीताल की विश्वविख्यात नैनीझील के पारिस्थितिकी तंत्र को सुधारने के लिए पंतनगर विश्वविद्यालय की ओर से अभिनव पहल की गई है। इसके तहत आज नैनीझील में गोविंद बल्लभ पंत मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय की तरफ से मत्स्य विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ.आशुतोष मिश्रा, डीन प्रो.अवदेश कुमार, जेई जिला विकास प्राधिकरण विपिन कुमार और एरिएशन प्रोजेक्ट से जुड़े आनन्द कोरंगा पहुंचे।
वहां फांसी गधेरे के समीप इन लोगों ने झील की गुणवत्ता जांची। इन्होंने बताया कि आज तलहटी में 3 एमजी ऑक्सीजन है, जबकी सरफेस(सतह)में 5 एमजी ऑक्सीजन पाई गई है। इसे लेकर कहा की, कुछ समय पहले झील डेढ़ मीटर ट्रांसपेरेंसी थी, लेकिन अब काफी बढ़ गई है।
झील में आज राजकीय मछली गोल्डन महाशीर के 4,000, चौगनिया और काल रोहू के 1000 और सिल्वर कार्प के 15,000 बीज डाले। इससे पहले विभाग ने गंबूचिया, पुण्टिस और बिग हैड मछलियों को झील से निकाला था।
एक्सपर्ट्स ने बताया कि झील की गुणवत्ता पीने लायक न हो, लेकिन फिशरीज के नजरिये से ठीक है। एल्गी की मात्रा भी पहले से बेहतर हो गई है।
हिन्दुस्थान समाचार / DEEPESH TIWARI