शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक और आत्मिक विकास के लिए जरुरी है योग : प्रो. सुधाकर मिश्र
विश्व योग दिवस के पूर्व कार्यक्रम


संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के सांख्य योग तंत्रागम विभाग में कार्यक्रम

वाराणसी,02 जून (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियां राजभवन के निर्देश पर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में शुरू हो गई है। सोमवार को विश्वविद्यालय के सांख्य योग तंत्रागम विभाग में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुधाकर मिश्र ने भारतीय परंपरा के अनुसार योग के सार्वभौमिक महत्व को बताया।

प्रो. मिश्र ने कहा कि योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक और आत्मिक विकास के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने मनोयोग से भौतिक एवं मानसिक विकास के संदर्भ में भी योग की भूमिका को परिभाषित करते हुए कहा कि योग के माध्यम से हम अपने जीवन को अधिक स्वस्थ, सुखी और संतुलित बना सकते हैं। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर हरिशंकर पांडेय ने चित्त वृत्ति निरोध पूर्वक योगत्व को परिभाषित करते हुए योग के द्वारा विकास के शिखर को प्राप्त करने का मूल मंत्र बताया। उन्होंने कहा कि योग के माध्यम से हम अपने चित्त को नियंत्रित कर सकते हैं और अपने जीवन को अधिक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं।

विश्वविद्यालय के नोडल अधिकारी एवं छात्र कल्याण संकाय अध्यक्ष प्रो.शैलेश मिश्र ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि योग एक ऐसी विधा है जो हमें प्रकृति के साथ जुड़ने और उसकी महत्ता को समझने का अवसर प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि योग के माध्यम से हम अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण और उद्देश्यपूर्ण बना सकते है। प्रो. मिश्र के अनुसार विभाग में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दृष्टिगत 10 सूत्रीय बिंदुओं पर आयोजित कार्यक्रम के अंतर्गत आज प्रथम बिंदु का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के संयोजक एवं राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम के समन्वयक एवं सांख्ययोग तंत्रागम विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राघवेंद्र दुबे ने अतिथियों का स्वागत किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी