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मंडी, 02 जून (हि.स.)। सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी और सुंदर देवी शिक्षा एवं कौशल एवं प्रशिक्षण फाउंडेशन द्वारा सामूहिक रूप से सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी में यौन उत्पीड़न की रोकथाम पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में भारत के विभिन्न राज्यों से 30 प्रतिभागियों ने भाग लिया और 20 प्रतिभागी ऑनलाइन शामिल हुए। कार्यशाला के डीन प्लानिंग और संयोजक डॉ. सुनील ठाकुर ने कहा कि यह कार्यशाला अपनी तरह की पहली है जो समाज को यौन उत्पीड़न अधिनियम की रोकथाम के बारे में जागरूक करने के लिए सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी द्वारा आयोजित की जा रही है।
डॉ. सनील ने कार्यशाला में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में शामिल हुए सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यशाला की समन्वयक और श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय गुरुग्राम हरियाणा की उप निदेशक डॉ वैशाली माहेश्वरी ने सभी प्रतिभागियों को इस कार्यशाला के विषय और दायरे से परिचित कराया।
इस अवसर पर प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी मुख्य अतिथि थे और उन्होंने अपने संबोधन में सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी सुरक्षित कार्यस्थल हर महिला का कानूनी अधिकार है। यौन उत्पीड़न महिलाओं के समानता और सम्मान के अधिकार का घोर उल्लंघन है। हमारे कार्यस्थलों और शैक्षणिक संस्थानों में यौन उत्पीड़न की रोकथाम सबसे महत्वपूर्ण बात है। प्रो. अवस्थी ने कहा कि यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए विशाखा दिशानिर्देशों का स्थान लेने वाला पीओएसएच अधिनियम हमारे संविधान में निहित महिलाओं के समानता, जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए प्रो. ललित अवस्थी ने कहा कि एक शैक्षणिक संस्थान के रूप में, हमारे पास एक ऐसा वातावरण बनाने की गहन जिम्मेदारी है, जहां प्रत्येक व्यक्ति सुरक्षित और सम्मानित महसूस करे। सरदार पटेल विश्वविद्यालय ने एक आंतरिक शिकायत समिति की स्थापना की है, जिसमें संवेदनशीलता और गोपनीयता के साथ शिकायतों को संभालने के लिए प्रशिक्षित सदस्य शामिल हैं।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर की प्रो. पामिता अवस्थी ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम पर मुख्य भाषण दिया। विषय पर बोलते हुए प्रोफेसर पमिता ने पीओएसएच अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों जैसे प्रत्येक संस्थान में आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) की स्थापना, नियोक्ता के कर्तव्य, शिकायत निवारण तंत्र, गोपनीयता और संरक्षण और आईसीसी समिति के अध्यक्ष के रूप में सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा की। कार्यशाला की दूसरी मुख्य वक्ता हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के विधिक अध्ययन संस्थान की डॉ सीमा कश्यप ने पीओएसएच अधिनियम के कानूनी पहलुओं के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि अधिनियम का प्राथमिक उद्देश्य कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकना और उसका समाधान करना है, यह सुनिश्चित करना है कि महिलाओं और अन्य कमजोर समूहों की सुरक्षा हो।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा