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धर्मशाला, 02 जून (हि.स.)। जिला उपभोक्ता आयोग ने एक अहम फैसला सुनाते हुए आभूषणों पर ऋण लेने और उपभोक्ता को इनकी नीलामी की जानकारी न देने पर कंपनी को डेढ़ लाख लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। यह राशि उपभोक्ता को 60 दिन के भीतर ग्राहक को देनी होगी और निर्धारित अवधि में राशि न दी तो 9 फीसदी ब्याज के साथ यह रकम देनी पड़ेगी। साथ ही न्यायालयी शुल्क के तौर पर 15 हजार रुपये भी कंपनी को देने होंगे। आयोग के अध्यक्ष हेमांशु मिश्रा, सदस्य नारायण ठाकुर और आरती सूद की अदालत ने सोमवार को यह फैसला सुनाया।
आयोग के समक्ष शकुन शर्मा निवासी सुतरेहड़, तहसील भवारना, जिला कांगड़ा ने शिकायत दर्ज करवाई थी।
शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्होंने सोने के आभूषण एचडीबी फाइनेंशियल सर्विस बैंक के पास जमा करके 29 सितंबर 2019 को गोल्ड लोन लिया था। वर्ष 2019 में सोने की कीमत 35,220 रुपये प्रति 10 ग्राम थी और आभूषणों का कुल वजन 169 ग्राम होने पर आभूषणों की कुल कीमत 5,95,218 रुपये आंकी गई। वहीं, बैंक अधिकारी की ओर से आभूषणों के मूल्यांकन के बाद शिकायतकर्ता के खाते में 30 सितंबर 2019 को 98,500 रुपये का ऋण दिया गया। इस ऋण को उपभोक्ता ने 22 फरवरी 2021 को वापस कर दिया।
शिकायतकर्ता का आरोप था कि इसके बाद बैंक अधिकारियों की ओर से आभूषणों पर 2,73,000 रुपये का ऋण जारी कर दिया गया। इस ऋण राशि को विभिन्न किश्तों के माध्यम से वापस कर दिया गया और ऋण खाता बंद कर दिया गया। इसके बाद बैंक की ओर से 21 अगस्त 2021 को 2,62,000 रुपये सोने के आभूषणों पर स्वर्ण ऋण स्वीकृत किया गया था। इस ऋण का 5 अगस्त 2022 तक किश्तों का भुगतान किया था। इसके बाद कोविड-19 महामारी के कारण वित्तीय समस्याओं के चलते किश्तों को नहीं भर पाए और बैंक ने 31 जुलाई 2023 को शिकायतकर्ता को विलंबित किश्तों के भुगतान शुल्क के रूप में 3,55,827 की राशि अर्जित की थी।
वहीं, सोने के आभूषणों की नीलामी की कार्यवाही में जानबूझकर उपभोक्ता को भाग लेने की अनुमति नहीं दी और आभूषणों को वास्तविक मूल्य से कम कीमत पर नीलाम कर दिया। सभी तथ्यों को जांचने के बाद आयोग ने उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया।
हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया