गुना : गुनिया को संवारने की हो रही कोशिश
बह रहा गंदा नाला


गुना, 2 जून (हि.स.)। शहर के बीचों-बीच गंदे नाले के रूप में बहने वाली गुनिया नदी एक बार फिर जीवित होने जा रही है। इस बारिश के बाद गुनिया की निर्मल धारा भीषण गर्मी में भी नहीं टूटेगी। बस इंतजार है तो बारिश से पहले नदी की सफाई और गटर निर्माण का। इसके लिए 5 करोड़ रुपए की लागत से काम भी शुरू कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि कभी शहर की पहचान रही गुनिया नदी ने कालांतर में एक गंदे नाले का रूप ले लिया है। शासन प्रशासन की अनदेखी और शहर की बढ़ती आबादी के कारण नदी में कचरे और गंदगी का अंबार बढ़ता चला गया। समय-समय पर प्रकृति प्रेमियों और जागरुक लोगों ने नदी को बचाने के कई प्रयास किए, लेकिन कभी बड़ी सफलता हाथ नहीं लग सकी। नदी प्रेमियों ने इसे बचाने के लिए एनजीटी में भी केस लगाया। लेकिन अब इस नदी के फिर से अपने पुराने स्वरूप में लौटने या उससे भी बेहतर होने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। शहर में बना नया सीवर सिस्टम इसके लिए मुफीद साबित होगा। जो जल्द ही चालू होने वाला है। इस संबंध में प्रभारी सीएमओ मंजुषा खत्री से संपर्क करने का प्रयास किया गया, किन्तु अधिकांश बार की तरह उन्होने फोन रिसीव नहीं किया।

ऐसे मिलेगा नया जीवन

गुनिया को नया जीवन सीवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से रोज निकलने वाले साफ से रोज लाखों लीटर पानी इसमें छोड़ा जाएगा। यही पानी पानी से मिलेगा। नदी के किनारे बने दो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट दम तोड़ चुकी गुनिया नदी को नया जीवन देगा। ट्रीटमेंट प्लांट्स से साल भर शहर के गंदे पानी की सफाई होगी और साफ पानी नदी में छोड़ा जाएगा। इससे गुनिया नदी में साल भर पानी की उपलब्ता रहेगी और नदी बारह मासी भी अपनी आदतों में सुधार करना होगा। ना सिर्फ स्वयं हो जाएगी। इसे गंदगी से बचाने के लिए शहरवासियों को नदी में कचरा डालने से बचना होगा बल्कि अन्य लोगों को भी इसके लिए जागरुक करना पड़ेगा।

रोज छोड़ा जाएगा लाखों लीटर पानी

शहर में एबी रोड बड़े बुल के पास छोटा सीवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट है। जिसकी क्षमता 7.6 एमएलडी है। इस प्लांट से प्रतिदिन 3 से 4 एमएलडी पानी छोड़ा जाएगा। एक एमएलडी में 10 लाख लीटर पानी होता है, यानी यह प्लांट प्रतिदिन 30 से 40 लाख लीटर पानी गुनिया नदी में बहाएगा। वहीं दूसरा प्लांट सकतपुर में बनाया गया है। इस प्लांट की क्षमता 14 एमएलडी है, जिससे प्रतिदिन नदी में 5 से 6 एमएलडी (50 से 60 लाख लीटर) पानी बहाया जाएगा। जिससे बड़े पुल से मकरावदा तक नदी में पानी सतत रूप से बहेगा। इसके साथ ही नदी में गंदे पानी को जाने से रोकने के लिए 5 करोड़ रुपए की लागत से दोनों साइड गटर व फुटपाथ बनाने का काम चालू हो गया है। यह गटर बड़े पुल से रपटे तक नदी के दोनों ओर बनाया कैमरे वालों को बड़े पुल से रपटे तक जाने के लिए सीधा और नंबर जाएगा। इस पर फुटपाथ भी बनेगा। जिससे पैदल चलने दिख छोटा रास्ता मिलेगा। इसके साथ ही फुटपाथ पर लोग छीनक टहलने के लिए भी जा सकेंगे और नदी किनारे सैर करने हैं। इ का आनंद उठा पाएंगे।

देरी हुई तो बढ़ेगी समस्या

दोनों किनारों पर गटर और फुटपाथ निर्माण के लिए राशि स्वीकृत हो चुकी है, टेंडर प्रक्रिया पूर्ण होकर निर्माण एजेंसी भी निर्धारित हो गई है। लेकिन अभी काम ने गति नहीं पकड़ी। कुछ छुट-पुट काम ही अभी किया गया है। दूसरी ओर बारिश सिर पर है। यदि काम में डिले किया गया तो समस्या खड़ी हो सकती है। बारिश का पानी आने या सीवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी छोड़े जाने के बाद गटर व फुटपाथ का निर्माण करना मुश्किल हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट से किसानों को भी फायदा मिलेगा। प्लांट से छोड़ा जाने वाला पानी नदी में बहता हुआ मकरावदा डेम में पहुंचेगा। जिससे डेम के जल स्तर में वृद्धि होगी और किसानों को अधिक मात्रा में पानी उपलब्ध हो सकेगा। इसके अलावा गर्मी के दिनों में भी तालाब में पानी रहेगा। जो किसानों के लिए मुफीद साबित होगा। वहीं ट्रीटमेंट प्लांट पर खाद का निर्माण भी होगा। इस प्लांट से हर 10 से 15 दिन में खाद निकाली जाएगी।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक शर्मा