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कोलकाता, 02 जून (हि. स.)। तृणमूल नेता अणुव्रत मंडल की मेडिकल रिपोर्ट को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि सरकारी डॉक्टर हिटलर चौधुरी ने 'अवैध रूप से' इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए हैं, जबकि वे राज्य सरकार के अधीन बीएमओएच के पद पर कार्यरत हैं।
सूत्रों के अनुसार, मंडल की मेडिकल रिपोर्ट, जो शांतिनिकेतन मेडिकल कॉलेज की है, पुलिस को सौंपी गई है। इसमें डॉक्टर हिटलर चौधुरी के हस्ताक्षर मौजूद हैं। संयोग से हिटलर चौधुरी रामपुरहाट-1 ब्लॉक के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर ऑफ हेल्थ (बीएमओएच) भी हैं। अब सवाल उठ रहा है कि एक सरकारी पद पर रहते हुए वे निजी अस्पताल में मरीज कैसे देख सकते हैं और रिपोर्ट पर दस्तखत कैसे कर सकते हैं? अगर उन्होंने ऐसा किया है, तो क्या यह रिपोर्ट कानूनी रूप से वैध मानी जाएगी?
इस पूरे विवाद पर पुलिस की ओर से अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या मेडिकल रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने वाले डॉक्टर और बीएमओएच हिटलर चौधुरी एक ही व्यक्ति हैं।
मल्लारपुर के निवासी हिटलर चौधुरी के अनुसार, उन्होंने चीन के एक मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है। विवाद के बाद उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन फोन पर संपर्क नहीं हो सका। उधर, शांतिनिकेतन मेडिकल कॉलेज के कर्ताधर्ता मলय पिट ने कहा कि मैं बाहर हूं, क्या हुआ है, इस पर जानकारी लूंगा।
मालूम हो कि मলय पिट अनुब्रत मंडल के करीबी माने जाते हैं।
इस बीच, बीरभूम के सीएमओएच (मुख्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी) शाेवन दे ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसने कहां हस्ताक्षर किया है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। रिपोर्ट भी मेरे पास नहीं आई है। लेकिन इतना कह सकता हूं कि सरकारी सेवा में रहते हुए कोई भी डॉक्टर इस तरह निजी अस्पताल में मरीज नहीं देख सकता। अगर रिपोर्ट मेरे पास आती है तो मैं जरूर जांच करूंगा।
मंडल के वकील विपदतारण भट्टाचार्य ने कहा कि उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है और हम जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। हमें पुलिस, प्रशासन और न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले अनुब्रत मंडल और बोलपुर थाने के आईसी लिटन हालदार के बीच कथित बातचीत का एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें अनुब्रत के खिलाफ अपशब्द कहने का आरोप लगा था। इसके बाद तृणमूल के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर उन्होंने बिना शर्त माफी भी मांगी थी और इसे साजिश बताया था।
इस पूरे घटनाक्रम के चलते पुलिस ने उन्हें शनिवार को एसडीपीओ ऑफिस में पेश होने का नोटिस भेजा था, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए। इसके बाद रविवार को दोबारा नोटिस भेजा गया, पर उस दिन भी अनुब्रत की जगह उनके वकील और तृणमूल से जुड़े कुछ सहयोगी अधिकारी के पास रिपोर्ट लेकर पहुंचे।
फिलहाल जिला पुलिस ने स्पष्ट किया है कि अनुब्रत ने बीमारी का हवाला देते हुए मेडिकल सर्टिफिकेट जमा किया है, इसलिए उन्हें अब और नोटिस नहीं भेजा जाएगा। हालांकि अगर बाद में यह साबित होता है कि यह मेडिकल रिपोर्ट अवैध है, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर