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मुंबई, 2 जून (हि.स.)। मुंबई महानगरपालिका ने पवई झील से दस दिनों में 1,450 मीट्रिक टन जलकुंभी निकालने का दावा किया है। यह कार्य 23 मई से 1 जून के बीच 5 हार्वेस्टर प्लांट से किया गया है।
पवई झील का निर्माण वर्ष 1891 में हुआ था और इसका कुल जल क्षेत्र 223 हेक्टेयर है। लगभग 6.6 किलोमीटर की परिधि वाली पवई झील का जलग्रहण क्षेत्र लगभग 600 हेक्टेयर में फैला हुआ है। झील की जल भंडारण क्षमता लगभग 5 हजार 455 मिलियन लीटर है। पवई झील का पानी पीने के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। इस बीच झील में फैले जलीय पौधों और बढ़ते प्रदूषण को लेकर मनपा पर आरोप लगने हैं। इसे लेकर मनपा प्रशासन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि पिछले छह महीनों में 2 मशीनों की मदद से पवई झील से लगभग 25 हजार मीट्रिक टन जलीय पौधे निकाले गए हैं। हालांकि जलीय पौधे झील क्षेत्र में तेजी से पनप रहे हैं। झील में सीवेज और मल के मिलने से प्रदूषण फैल रहा है। इसे रोकने का एकमात्र स्थायी हल सीवेज के पानी को अन्यत्र मोड़ना है। झील में सीवेज के गंदे पानी को रोकने के लिए चैनलों को मोड़ने के लिए मसौदा पत्र को मंजूरी दे दी गई है। इस टेंडर की स्वीकृति और कार्यादेश जारी करने की प्रक्रिया आने वाले सप्ताह में पूरी होने की संभावना है। जब तक सीवरेज चैनलों को मोड़ने का काम पूरा नहीं हो जाता, सफाई को गति दी गई है। इसमें हार्वेस्टर मशीन, पोंटून माउंटेड पोकलेन और पोकलेन, डंपरों की मदद ली जा रही है। दो शिफ्टों में काम किया जा रहा है। मानसून के बाद 6 मशीनें लगाई जाएंगी।
मनपा अधिकारियों ने बताया कि पवई झील के लिए 2 टेंडर जारी की गए हैं। टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसमें सीवेज पाइपलाइन बिछाना और 8 मिलियन लीटर (एमएलडी) क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाना शामिल है। झील में 18 मिलियन लीटर सीवेज बहता है। इसमें से 80 लाख लीटर सीवेज का निपटान वर्तमान में बंद पड़े पवई उद्चन केंद्र में करना प्रस्तावित है। 80 लाख लीटर सीवेज को ट्रीटमेंट प्लांट में लाकर शुद्ध करने के बाद फिर झील में छोड़ दिया जाएगा। शेष 80 लाख लीटर सीवेज को शंकराचार्य मार्ग पर मौजूदा सीवेज चैनल के माध्यम से भांडुप सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जाएगा। शेष 20 लाख लीटर सीवेज को पेरू बाग में उद्चन केंद्र में भेजा जाएगा और फिर सीवेज चैनल के माध्यम से मीठी नदी पर 90 लाख लीटर क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जाएगा। इससे झील में सीवेज को रोकने और उसे मोड़ने में मदद मिलेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / वी कुमार