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— डीएम सीएमओ विवाद में दो विधायकों ने डीएम का लिया था पक्ष
कानपुर, 19 जून (हि.स.)। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरिदत्त नेमी के बीच चल रहे विवाद का पटापेक्ष आखिरकार शासन ने गुरुवार को कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना सहित तीन विधायकों की पैरवी भी सीएमओ को नहीं बचा सकी और शासन ने उन्हे निलम्बित करते हुए महानिदेशालय से संबद्ध कर दिया है। वहीं डीएम की कुर्सी बरकरार है। शासन ने कानपुर में डा. उदयनाथ को मुख्य चिकित्साधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी है।
-- क्या है पूरा मामला?
बागपत से जिलाधिकारी कानपुर भेजे गए तेजतर्रार जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने अपना पद ग्रहण करते ही ताबड़तोड़ कार्रवाइयां करनी शुरू कर दी थीं। इसी क्रम में उन्होंने बीते तीन फरवरी को शासन द्वारा आम जनता को दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं और उनसे जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों की जानकारी जुटाने के उद्देश्य से रामादेवी स्थित सीएमओ दफ्तर से लेकर मान्यवर काशीराम ट्रामा सेंटर पहुंचकर जमीनी हकीकत को जाना। इस तरह सीएमओ कार्यालय से सीएमओ डॉ हरी दत्त नेमी समेत 34 कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए थे। इस पर उन्होंने कड़ी नाराज की जाहिर करते हुए सभी का एक दिन का वेतन रोकने की कार्रवाई के आदेश दिए थे।
डीएम ने कार्रवाई से जुड़ा अपना बयान भी सोशल मीडिया पर जारी किया था। जिसमें उन्होंने बताया था कि जिम्मेदार पद पर बैठे सीएमओ साहब जब ईमानदारी से अपना काम नहीं करेंगे, तो बाकी अधिकारी क्या करेंगे? इसके बाद से लगातार डीएम द्वारा सीएचसी और पीएचसी पहुंचकर स्थितियों का जायजा लेते रहे। जहां पर कई तरह की अनियमिताएं पाई गयीं। जिसे लेकर हर बार लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई भी की गई। लगातार स्वास्थ्य विभाग में मिल नहीं कर्मियों और खामियों के चलते जिलाधिकारी ने सीएमओ को हटवाने के लिए शासन को पत्र लिखा।
इसी बीच सीएमओ हरिदत्त नेमी के दो ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए जिनमें वह जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए टिप्पणी करते हुए सुनाई दिए। हालांकि सीएमओ ने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि ऑडियो पर सुनाई दे रही आवाज उनकी नहीं बल्कि वह एआई जेनरेटेड वॉइस है। जो उन्हें बदनाम करने के लिए षड्यंत्र के तहत किया गया है।
हालांकि डीएम द्वारा शासन को लिखे गए पत्र और सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ऑडियो सीएमओ के लिए चिंता का विषय बनी हुई थी। जिसके चलते उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से मुलाकात की। जिस पर महाना ने सीएमओ की पैरवी करते हुए 11 जून को उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को पत्र लिखा। सीएमओ के समर्थन में एमएलसी अरुण पाठक ने 14 जून और विधायक सुरेंद्र मैथानी ने 15 जून को पत्र लिखकर उन्हें शहर में बनाये रखने का आग्रह किया। लेकिन इसके अगले ही दिन 16 जून को बिठूर विधानसभा से भाजपा विधायक अभिजीत सिंह सांगा और किदवई नगर विधानसभा विधायक महेश त्रिवेदी ने सीएमओ को भ्रष्टाचारी बताते हुए मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिख दिया।
धीरे-धीरे यह मामला प्रदेश स्तर तक पहुंचा तब जाकर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी इस मामले पर चुटकी लेते हुए कहा कि डबल इंजन का दावा करने वाली इस सरकार के इंजन अब आपस में टकराने लगे हैं। डिब्बे बेपटरी तो वहीं अब गार्ड रूम भी इसके नहीं बच सके हैं। इस हाई प्रोफाइल विवाद समाप्ति के बाद श्रावस्ती के उदयनाथ सिंह को कानपुर का नया मुख्य चिकित्सा अधिकारी बनाया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप