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कानपुर, 19 जून (हि. स.)। देश की विरासत उसकी भौगोलिक स्थितियों को वहां की विशेष गुणवत्ता के उत्पादन से होती है। जी आई पंजीकरण के लिए किसी संस्था/संगठन द्वारा चेन्नई मुख्यालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। जहां किसी उत्पाद के विशिष्ट गुणों, भौगोलिक पहचान के आधार पर जी आई पंजीकरण किया जाता है। यह बातें गुरूवार को बतौर मुख्य अतिथि देश में जी आई मैन के नाम से प्रसिद्ध एवं विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे डॉ रजनीकांत द्विवेदी ने चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में उत्पादों के भौगोलिक चिन्हक (जीआई) पंजीयन की प्रक्रिया को बढ़ावा देने एवं इससे जुड़े विभिन्न हित धारकों के संवेदीकरण के लिए एक दिवसीय कार्यशाला के आयोजन में कही।
उन्होंने बताया कि अभी प्रदेश में 76 उत्पादों का उनके विशेष गुणों के आधार पर पंजीकरण हुआ है। विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों, केवीके वैज्ञानिकों, शोध छात्र छात्राओं को सरल एवं सहज ढंग से जी आई पंजीकरण एवं इसकी उपयोगिता, अंतर्राष्ट्रीय बाजारोन्मुखी निर्यात आदि विषय सरल एवं सहज ढंग से प्रस्तुत किये।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आनंद कुमार सिंह वैज्ञानिकों का आवाहन करते हुए कहा कि जनपद की विशिष्ट उत्पादों को चिन्हित कर उनका पंजीकरण कराएं। उन्होंने कहा की जीआई के पंजीकरण से लाभ केवल कृषकों को ही नहीं, अपितु इससे जुड़े वैज्ञानिकों,व्यापारियों के साथ ही अनेक हितधारकों को भी होता है। डॉ सिंह ने कहा कि इसका व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए,जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात को प्रोत्साहित करना है। जिससे प्रदेश के कृषकों में खुशहाली बढ़ेगी।
इस अवसर पर उपनिदेशक कृषि विपणन एवं विदेश व्यापार डॉक्टर सुग्रीव शुक्ला ने प्रदेश में अभी तक हुए जी आई उत्पादों के बारे में जानकारी दी। साथ ही नए जी आई के उत्पादों को चिन्हित कर पंजीकरण कराने में सहयोग की भी बात की।
इस कार्यक्रम की रूपरेखा एवं भूमिका के बारे में प्रोफेसर डॉक्टर पी के सिंह ने प्रकाश डाला। इस अवसर पर डॉक्टर विजय कुमार यादव निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र, डॉक्टर आरके यादव निदेशक प्रसार, डॉक्टर केशव आर्य ,डॉक्टर वी के त्रिपाठी सहित अन्य वैज्ञानिक उपस्थित रहे। जबकि कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर राजीव ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद