आईआईटी खड़गपुर और स्वानसी यूनिवर्सिटी में फिर साझेदारी, उन्नत तकनीक और शोध को मिलेगी नई उड़ान
कोलकाता, 19 जून (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग को विस्तार देते हुए वेल्स स्थित स्वानसी विश्वविद्यालय के साथ महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह साझेदारी उन्नत स्मार्ट विनिर्माण और सामग्री इ
आईआईटी खड़गपुर


कोलकाता, 19 जून (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग को विस्तार देते हुए वेल्स स्थित स्वानसी विश्वविद्यालय के साथ महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह साझेदारी उन्नत स्मार्ट विनिर्माण और सामग्री इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार और शैक्षणिक आदान-प्रदान को और अधिक सशक्त बनाएगी।

आईआईटी खड़गपुर के उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्र के संस्थापक अध्यक्ष प्रोफेसर सुरजय के. पाल, जुलाई 2025 में स्वानसी विश्वविद्यालय का दौरा करेंगे। जिसमें वे कंप्यूटर साइंस, मटेरियल्स इंजीनियरिंग और अंतरराष्ट्रीय शिक्षा विभागों के शिक्षकों के साथ शैक्षणिक संवाद और रणनीतिक बैठकों में हिस्सा लेंगे।

इससे पहले, 27 जनवरी को स्वानसी विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि ताशी ग्यात्सेन ने आईआईटी खड़गपुर का दौरा किया था। इन परस्पर दौरों की अनुशंसा उद्योग क्षेत्र की प्रमुख संस्था टाटा स्टील यूके ने की थी। इसका उद्देश्य दीर्घकालिक सहयोग की संभावनाओं को तलाशना, ज्ञान का आदान-प्रदान करना और संयुक्त अनुसंधान की नींव तैयार करना था।

इस अवसर पर प्रो. पाल ने कहा है कि यह द्विपक्षीय सहयोग उन्नत अनुसंधान को नई दिशा देगा और स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग तथा सामग्री इंजीनियरिंग जैसे उभरते क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति को गति देगा।

यह समझौता दोनों संस्थानों की तकनीकी विशेषज्ञता को एकजुट करते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित विनिर्माण और सामग्री नवाचार को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।

इस सहयोग के तहत दोनों संस्थान न केवल संयुक्त शोध परियोजनाओं को बढ़ावा देंगे, बल्कि उद्योग-प्रायोजित पहल, छात्र आदान-प्रदान और ज्ञान हस्तांतरण जैसे क्षेत्रों में भी साथ काम करेंगे।

आईआईटी खड़गपुर के लिए यह पहल वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान और मजबूत करने, अनुसंधान क्षमता में वृद्धि करने और भारतीय इंजीनियरिंग शिक्षा को विश्व मानकों तक पहुंचाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

यह समझौता दोनों संस्थानों के साझा दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसका उद्देश्य है व्यावहारिक प्रभाव डालने वाले अनुसंधान को बढ़ावा देना और वैश्विक शैक्षणिक साझेदारियों के माध्यम से समाज की वास्तविक समस्याओं का समाधान खोजना।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय