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कानपुर,19 जून (हि. स.)। शोध केंद्र में भारतीय प्राच्य विद्या को बढ़ावा देने के लिये पहले से एम.ए. ज्योतिर्विज्ञान व कर्मकांड में डिप्लोमा के पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं, इस सत्र से हम वास्तुशास्त्र के कोर्स शुरू कर रहे हैं। यह बातें गुरूवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के दीन दयाल शोध केंद्र के निदेशक प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी ने कही।
शोध केन्द्र निदेशक ने बताया कि भारतीय प्राच्य विद्या के विकास के लिए एक ओर जहां सरकार अपने कदम आगे बढ़ा रही है, तो वहीं, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय का दीन दयाल शोध केंद्र इस कदम को वास्तविकता के धरातल पर परिलक्षित कर रहा है, जिसकी तस्वीर इन दिनों विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में भी दिखाई दे रही हैं। लोगों में वास्तु शास्त्र के प्रति रुचि पैदा करने और इसे रोजगार परक बनाने के लिए विश्वविद्यालय इस सत्र से एक नए पाठ्यक्रम पीजी डिप्लोमा इन वास्तुशास्त्र की शुरुआत करने जा रहा है। खास बात यह है कि, इसमें विद्यार्थी थ्योरी के साथ-साथ क्षेत्र में व्यवहारिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
शोध केंद्र के सहायक निदेशक डॉ दिवाकर अवस्थी ने बताया कि आज हर व्यक्ति अपने भविष्य और कुंडली में ग्रह नक्षत्रों की चाल को लेकर बहुत ही चिंतित रहता है, जिसके लिये योग्य ज्योतिषाचार्य की तलाश में लगा रहता है, एम ए ज्योतिर्विज्ञान का कोर्स करने वाले विद्यार्थी सीखने के बाद अपना परामर्श केंद्र खोलकर रोजगार पा सकते हैं। जबकि कर्मकांड से डिप्लोमा करने वाले विद्यार्थी पुरोहित बनकर स्वरोजगार शुरू कर सकते हैं। वहीं पीजी डिप्लोमा इन वास्तुशास्त्र की पढ़ाई करने वाले अच्छे वस्तुशास्त्री बनकर अपना रोजगार शुरू कर सकते हैं। क्योंकि आज इंसान अपने घर,ऑफिस हर जगह पर नक्शा वास्तुशास्त्री से पूँछकर ही बनना उचित समझता है।
एम ए ज्योतिर्विज्ञान
कुल सीट - 50
फीस- 10,200अवधि- 2 वर्ष, 4 सेमेस्टरअहर्ता- किसी भी विषय स्नातक 45% अंक
पीजी डिप्लोमा इन वास्तुशास्त्र
कुल सीट - 30फीस- 11,200अवधि- 1 वर्ष, 2 सेमेस्टरअहर्ता- किसी भी विषय स्नातक 45% अंक
पीजी डिप्लोमा इन कर्मकांडकुल सीट - 50फीस- 9,200अवधि- 1;वर्ष, 2 सेमेस्टरअहर्ता- इंटरमीडिएट पास 45% अंक
हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद