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जम्मू, 19 जून (हि.स.)। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) श्रीनगर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के दो प्राध्यापकों डॉ. विवेक और डॉ. संदीप समंतराय ने एक महत्वपूर्ण शोध पुस्तक वेस्ट यूटिलाइजेशन इन जियोटेक्नीकल प्रेक्टिस का सह-संपादन किया है। यह पुस्तक विश्व प्रसिद्ध अकादमिक प्रकाशन संस्था विले द्वारा वैश्विक स्तर पर प्रकाशित की गई है। इस पुस्तक में जियो-टेक्निकल इंजीनियरिंग में विभिन्न अपशिष्ट पदार्थों का प्रयोग जैसे मिट्टी में सुधार, एंबैंकमेंट निर्माण और नींव को मजबूत करने जैसे पहलुओं को केंद्र में रखा गया है। यह पुस्तक न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से लाभदायक है, बल्कि निर्माण लागत को भी प्रभावी रूप से कम कर सकती है।
डॉ. विवेक ने बताया कि, यह पुस्तक वर्षों की मेहनत और कई बार संशोधन के बाद पूरी हुई है। यह हमारे उस प्रयास का परिणाम है, जिसमें हम सिविल इंजीनियरिंग में टिकाऊ और व्यावहारिक समाधान देना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह पुस्तक उन इंजीनियरों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी संदर्भ सिद्ध होगी, जो पर्यावरणीय नुकसान को कम करते हुए मज़बूत अवसंरचना विकसित करना चाहते हैं। डॉ. संदीप समंतराय ने कहा कि पुस्तक का उद्देश्य दो बड़ी चुनौतियों अपशिष्ट निपटान और टिकाऊ निर्माण को एक साथ संबोधित करना था। उन्होंने बताया कि फ्लाई ऐश, स्लैग, कंस्ट्रक्शन डेब्रिस जैसे अपशिष्ट पदार्थों का सुरक्षित उपयोग निर्माण में संभव है और पुस्तक में इन्हीं व्यावहारिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
उन्होंने कहा, यह सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टिकोण तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें वास्तविक जीवन में इन पदार्थों की जांच, व्यवहार और उपयोग की विधियों को भी शामिल किया गया है। जम्मू-कश्मीर जैसे चुनौतीपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र में यह ज्ञान विशेष रूप से उपयोगी होगा। दोनों फैकल्टी सदस्यों ने एनआईटीश्रीनगर प्रशासन, विशेष रूप से निदेशक और रजिस्ट्रार का आभार व्यक्त किया जिन्होंने निरंतर प्रोत्साहन और अनुसंधान-अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराया।
यह पुस्तक अपशिष्ट पदार्थों के गुणों, उनके परीक्षण, पर्यावरणीय प्रभाव, लागत लाभ और निर्माण में उनके उपयोग से जुड़े नियमों को सरल भाषा में समझाती है। यह अपशिष्ट प्रबंधन की बढ़ती समस्या को सुलझाने में भी एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शिका बन सकती है। बताते जाएँ कि डॉ. विवेक के पास परिवहन इंजीनियरिंग में 8 पेटेंट और 19 से अधिक शोध प्रकाशन हैं, जबकि डॉ. संदीप समंतराय ने 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया है और उनके नाम 40 शोध पत्र और 11 पेटेंट दर्ज हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा