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—भदैनी स्थित जन्मस्थली पर वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की 167 वीं पुण्यतिथि मनी
वाराणसी, 18 जून (हि.स.)। वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई (मनु) की 167 वीं पुण्यतिथि बुधवार को उनके भदैनी स्थित जन्मस्थली पर मनाई गई। इस अवसर पर जागृति फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय समारोह के अन्तिम दिन वक्ताओं ने महारानी के शौर्य और उनके बलिदान को नमन किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री संकट मोचन मंदिर के महंत एवं आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र ने कहा कि देश के स्वतंत्रता समर में अंग्रेजों के दांत खट्टे करने वाली वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई काशी की बेटी थी। काशी की माटी ने ही उन्हें स्वतंत्र रहना सिखाया। काशी का संस्कार ही था जिससे वह हर लड़ाई जीती। उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अमूल्य योगदान देते यह संदेश दिया कि महिलाएं किसी से कम नहीं हैं वह चाहे तो देश और समाज को बदल सकती है।
साहित्यकार डॉ जयप्रकाश मिश्र ने कविताओं के माध्यम से वीरांगना के चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित किया। समाजसेवी नागेश सिंह ने कहा कि हमें गर्व है वीरांगना मनु ने काशी की धरती पर जन्म लिया और देश के आजादी के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। कार्यक्रम में रामेश्वर मठ के प्रबंधक डॉ वरुणेश चंद्र दीक्षित, स्वामी नारायण नन्द तीर्थ वेद विद्यालय के प्राचार्य जयंत पति त्रिपाठी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एन. के. दुबे, समाजसेवी उमा शंकर गुप्ता एवं रामयश मिश्र ने भी विचार रखे और महारानी के विशाल मूर्ति के समक्ष श्रद्धासुमन अर्पित किया। कार्यक्रम में वक्ताओं ने वीरांगना के जन्मस्थली को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग प्रदेश सरकार से की।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी