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कानपुर, 18 जून (हि. स.)। शिक्षा केवल ज्ञान देती है, जबकि दीक्षा जीवन जीने की कला सिखाती है। आज के तकनीकी युग में एआई जैसे उभरते विषयों को विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाना चाहिए। यह बातें बुधवार को भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष और छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला हिमाचल प्रदेश के आठवें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि छात्रों को संबोधित करते हुए कही।
मुख्य अतिथि प्रो. विनय पाठक ने प्रेरणादायक श्लोक के माध्यम से निरंतर कर्म करते रहने का संदेश दिया: चरन् वै मधु विन्दति चरन् स्वदुम्। उदुम्बरम् सूर्यस्य पस्य स्ह्रेमनम्। यो न तन्द्रयते चरन् चरैवेति चरैवेति॥ (चलते रहो, चलते रहो – यही सफलता का मूल मंत्र है।)
दीक्षांत समारोह में सीयूएचपी के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने पारंपरिक हिमाचली टोपी, अंगवस्त्र और चंबा थाल भेंट कर मुख्य अतिथि का स्वागत किया।
सीयूएचपी के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में देश का अग्रणी संस्थान रहा है। अगर हमें A+ ग्रेड प्राप्त हुआ है, तो उसका श्रेय राष्ट्रीय शिक्षा नीति को समर्पणपूर्वक लागू करने के प्रयासों को जाता है। उन्होंने शिक्षा की भूमिका को मानवता की दृष्टि से समझाते हुए कहा कि हमारा प्रयास बेस्ट माइंड्स तैयार करना है जो आत्मनिर्भर और एकात्म मानवतावाद से प्रेरित हों।
कुलपति ने यह भी कहा कि विदेशी शिक्षा मॉडल को अपनाने से हमारी जड़ों से दूरी बनती है। समग्र शिक्षा की ओर लौटना और मातृभाषा में शिक्षा देना हमारी शक्ति है।
समारोह में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद्मश्री आचार्य डॉ. हरमोहिंदर सिंह बेदी, कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. सच्चिदानंद जोशी, विशेष अतिथि के रूप में प्रो. सुशील मित्तल (कुलपति, पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय जालंधर), प्रो. दिनेश अग्रवाल (कुलपति, विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय गुरुग्राम) और प्रो. राज नेहरू (पूर्व कुलपति एवं विशेष कार्य अधिकारी, हरियाणा) उपस्थित रहे। सभी अतिथियों ने अपने संबोधन में डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी और उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। समारोह में सभी विभागों के अधिष्ठाता, शिक्षकगण एवं छात्रगण मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद