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शिमला, 16 जून (हि.स.)। शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के बीच एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक का उद्देश्य औपचारिक शैक्षणिक सहयोग और संभावित समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर विचार-विमर्श करना था।
बैठक की अध्यक्षता एचपीयू के कुलपति प्रो. महावीर सिंह ने की, जबकि आईआईटी बॉम्बे की ओर से अंतरराष्ट्रीय संबंधों के डीन प्रो. सुदर्शन कुमार विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस अवसर पर एचपीयू के रसायन विभाग से डॉ. रमेश ठाकुर और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार विभाग से डॉ. मनीष कुमार भी मौजूद थे।
प्रो. सुदर्शन कुमार ने आईआईटी बॉम्बे की वैश्विक अनुसंधान साझेदारियों, अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं, स्टार्टअप इन्क्यूबेशन कार्यक्रमों और मोनाश विश्वविद्यालय (ऑस्ट्रेलिया) व ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी (यूएसए) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ संयुक्त पीएचडी कार्यक्रमों की जानकारी साझा की। बैठक में हरित ऊर्जा, ऊर्जा विज्ञान और नैनोप्रौद्योगिकी जैसे उन्नत क्षेत्रों में संभावित सहयोग पर विशेष चर्चा हुई।
प्रमुख प्रस्तावों में शामिल हैं। संकाय एवं छात्रों के विनिमय कार्यक्रम, संयुक्त कार्यशालाएँ व प्रशिक्षण, अल्पकालिक शैक्षणिक यात्राएँ, सह-पर्यवेक्षित मास्टर एवं पीएचडी कार्यक्रम, संयुक्त शोध प्रस्ताव व अनुदान हेतु साझेदारी, विश्वविद्यालय नेटवर्क के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक संपर्क।
प्रो. कुमार ने एचपीयू को अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से जोड़ने में आईआईटी बॉम्बे की पूर्ण सहायता का आश्वासन भी दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत आने वाले अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों के दौरे कार्यक्रम में एचपीयू को भी सम्मिलित किया जाए।
साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए कार्य योजना तैयार की गई है, जिसके तहत जुलाई के पहले सप्ताह में एचपीयू के कुलपति और संकाय सदस्य आईआईटी बॉम्बे का दौरा करेंगे और निदेशक समेत ऊर्जा विज्ञान तथा नैनोप्रौद्योगिकी विभागों के साथ बैठक करेंगे। इसके बाद आईआईटी बॉम्बे के निदेशक और डीन का शिमला दौरा भी प्रस्तावित है।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. महावीर सिंह ने एचपीयू में आईआईटी बॉम्बे के सहयोग से “हरित ऊर्जा और नैनोप्रौद्योगिकी के लिए सैटेलाइट अनुसंधान केंद्र” स्थापित करने का प्रस्ताव रखा। इससे दोनों संस्थानों के बीच ग्रीष्मकालीन शैक्षणिक आदान-प्रदान और संयुक्त अनुसंधान को बल मिलेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला