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भागलपुर, 15 जून (हि.स.)। जनजातीय गौरव वर्ष के अवसर पर भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के बैनर तले धरती आबा बिरसा मुंडा जी की जयंती पर रविवार को एक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम जिले के पीरपैंती प्रखंड के हरदेवचक पंचायत के गोकुल मथुरा गांव में एसटी समुदाय के लोगों के बीच जिला कल्याण पदाधिकारी भागलपुर राजीव कुमार रवि की अध्यक्षता में किया गया।
मौके पर पीरपैंती प्रखंड के बीडीओ अभिमन्यु कुमार, मुख्य वक्ता टीमबीयू के पीआरओ और एसएम कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ दीपक कुमार दिनकर, कहलगांव एवं पीरपैंती के प्रखंड कल्याण पदाधिकारी सुनील कुमार, बीपीआरओ कामेश्वर नारायण, स्थानीय मुखिया नरेश मंडल, सहित अन्य गणमान्य अतिथियों ने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की तस्वीर पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित कर उनके व्यक्तित्व, कृतित्व और जीवन गाथा को याद किया।
जिला कल्याण पदाधिकारी राजीव कुमार रवि ने इस अवसर पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा एसटी समुदाय के लोगों के लिए संचालित कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने एसटी छात्र-छात्राओं के लिए कल्याण विभाग द्वारा मिलने वाली हॉस्टल सुविधाओं की भी जानकारी दी।
केंद्र रकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा वर्ष 2021 को आयोजित बैठक में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया है। बीडीओ अभिमन्यु कुमार ने प्रखंड स्तर पर एसटी समुदाय के लोगों को मिलने वाली योजनाओं और सुविधाओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा की योजनाओं से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी के लिए बीडब्लूओ, मुखिया या विकास मित्र से संपर्क करें। वहीं मुख्य वक्ता डॉ दीपक कुमार दिनकर ने कहा की बिरसा मुंडा आदिवासी पुनरुत्थान के महानायक थे। मुंडा भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोक नायक थे। उन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसिडेंसी मसन हुए एक आदिवासी आंदोलन का नेतृत्व किये। जिससे वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में महानायक बन गए। भारत के आदिवासी उन्हें भगवान मानते हैं और उन्हें धरती आबा के नाम से भी जानते हैं। बिरसा मुंडा का जीवन आज भी आदिवासी अस्मिता और संघर्ष की अमर प्रेरणा है। बिरसा ने अंग्रेजों के अन्याय और अत्याचार को देखा और उसके खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने अपने जनजातीय समाज को संगठित किया और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह छेड़ा। उनकी वीरता और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। कार्यक्रम में सीताराम उरांव, बलराम उरांव, नारायण उरांव, शिवलाल उरांव समेत लगभग तीन सौ से ज्यादा एसटी समुदाय के लोगों ने भाग लिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर