सुप्रीम कोर्ट में जीत के बावजूद शिक्षकों के तबादले रद्द, शिक्षा विभाग के फैसले से मचा हड़कंप
सरकारी स्कूल में शिक्षकों के तबादले से मचा हड़कंप


कोलकाता, 15 जून (हि. स.)। राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा अचानक एक बड़े निर्णय में उन सैकड़ों शिक्षकों के तबादले के आदेश वापस ले लिए गए हैं, जिन्हें जनहित में प्रशासनिक तबादले के तहत 2023 में एक स्थान से दूसरे स्थान पर नियुक्त किया गया था। सुप्रीम कोर्ट से कानूनी वैधता मिलने के बावजूद इस तबादला आदेश को रद्द करना शिक्षकों में असमंजस और चिंता का कारण बन गया है।

गौरतलब है कि पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के कार्यकाल में 14 मार्च 2018 को एक नीति लागू की गई थी जिसके तहत जिन स्कूलों में छात्रों की तुलना में शिक्षक अधिक थे, वहां से शिक्षकों को उन स्कूलों में स्थानांतरित किया जाना था जहां शिक्षक कम थे। इस नीति को जनहित में प्रशासनिक तबादला का नाम दिया गया था।

इसी नीति के तहत 10 फरवरी 2023 को शिक्षा विभाग के उप सचिव ने 604 शिक्षकों के तबादले का आदेश जारी किया। तबादले का उद्देश्य था कि कोलकाता, हावड़ा और शहरी क्षेत्रों से शिक्षकों को ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में भेजना ताकि वहां के छात्रों को भी उचित शैक्षणिक सुविधा मिल सके।

हालांकि इस तबादले के खिलाफ कई शिक्षकों ने अदालत का रुख किया और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन 26 सितंबर 2024 को शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के निर्णय को उचित ठहराते हुए यह साफ किया कि नियुक्तिकर्ता को जनहित में तबादले का अधिकार है।

इसके बावजूद, विकाश भवन के अधिकारियों ने हाल ही में एक नया आदेश जारी कर सभी तबादलों को वापस लेने का निर्देश दिया है। अब स्कूल सेवा आयोग, माध्यमिक शिक्षा परिषद और स्कूल शिक्षा निदेशालय मिलकर सभी तबादला किए गए शिक्षकों को उनके पुराने स्कूलों में लौटाने की प्रक्रिया में जुट गए हैं।

शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तबादले की प्रक्रिया में जल्दबाजी और कई प्रक्रियात्मक भूलें हुई थीं। कई मामलों में जनहित के नाम पर की गई सिफारिशें वस्तुतः जनहित के विरुद्ध थीं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के बावजूद यह कदम उठाना पड़ा।

बदले गए शिक्षक अब परेशान हैं। कई शिक्षक ऐसे हैं जो पहले ही नई जगहों पर दो साल से पढ़ा रहे हैं और छात्रों के साथ अच्छा तालमेल बना चुके हैं। ऐसे में उन्हें दोबारा पुराने स्कूलों में भेजा जाना उनकी पेशेवर स्थिरता और मनोबल को प्रभावित कर रहा है।

दक्षिण कोलकाता से स्थानांतरित एक शिक्षक, जिन्हें दक्षिण 24 परगना के बजबज स्कूल में भेजा गया था, उन्होंने कहा है कि अब जहां हूं वहां छात्रों की संख्या ज़्यादा है, पढ़ाकर संतुष्टि मिलती है। पुराने स्कूल में लौटूंगा तो फिर अधिशेष शिक्षक करार दिया जा सकता है, जिससे भविष्य में फिर से तबादला संभव है।

इसी तरह, उत्तर 24 परगना से स्थानांतरित एक अन्य शिक्षक, जिन्हें नदिया भेजा गया था, ने भी कहा कि वह अब पुराने स्कूल में लौटना नहीं चाहते क्योंकि वह नई जगह में समायोजित हो चुके हैं।

उत्तर और दक्षिण कोलकाता के कई स्कूलों के प्रधानाचार्य कह रहे हैं कि उनके स्कूलों में अब पहले से ही शिक्षक अधिशेष हैं। ऐसे में पुराने शिक्षकों की वापसी से न केवल संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा, बल्कि पढ़ाई की गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा।

हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय

 

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