काशी में मोरारी बापू सूतक में सुना रहे कथा, संतों ने जताया विराेध
मोरारी बापू


—पत्नी की चार दिन पहले मृत्यु होने के बावजूद श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन करने पर लोगों में भी बढ़ रही नाराजगी

वाराणसी,15 जून (हि.स.)। देश के जाने माने कथावाचक आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू अपनी धर्म पत्नी नर्मदाबा के निधन के चार दिन बाद ही सूतक में होने के बावजूद काशी में बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर रामकथा सुना रहे है। इसको लेकर मोरारी बापू काशी के संतों और धर्मगुरूओं के साथ आम लोगों के निशाने पर है।

सोशल मीडिया के जरिए आम लोग भी मोरारी बापू का विरोध कर रहे हैं । विरोध करने वाले संतों का कहना है कि सूतक काल में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान नहीं किए जाते, लेकिन मोरारी बापू ने परंपरा को तोड़ दिया है। काशी के संतों के विरोध को देख मोरारी बापू ने सिगरा स्थित रूद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में अपनी 958वीं रामकथा के बाद मंच से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि “अगर मेरे बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने से किसी को ठेस पहुंची हो, तो मैं क्षमा चाहता हूं। लेकिन कथा तो कहता रहूंगा। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि हम वैष्णव परंपरा से हैं हम वैष्णव साधु हैं। हम पर यह नियम लागू नहीं होता। हम न क्रिया करते हैं और ना उत्तर क्रिया करते हैं। भगवान का भजन करना और कथा करना इसमें सुकून है ना कि सूतक में।

काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के जवाब में कहा कि हम तो देखो दर्शन करके आए हैं। मोरारी बापू के बयान के बाद संत लगातार उन पर निशाना साध रहे है। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “सूतक काल में कथा करना अशुभ और अनुचित है। धर्म की मर्यादा से ऊपर उठकर अर्थ की कामना करना निंदनीय है। धर्म को धंधा न बनाया जाए।” स्वामी जितेन्द्रानंद ने कहा कि “मोरारी बापू को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे ब्रह्मचारी, ब्रह्मनिष्ठ या राजा किस श्रेणी में आते हैं, जिन्हें सूतक नहीं लगता? यदि वे संन्यासी हैं, तो क्या उन्होंने जीवित रहते हुए अपना पिंडदान किया है? यह सब समाज को भ्रमित करने जैसा है।”

काशी सुमेरूपीठ के पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती ने संत मोरारी बापू के बयान से नाराजगी जताते हुए कहा कि सूतक काल में रामकथा कहना अनर्थ,शास्त्र विरूद्ध और कालनेमी सरीखा है। सूतक काल में मोरारी बापू को न मंदिर में जाकर पूजा करना था और न ही देवताओं के विग्रह को स्पर्श करना था। मोरारी बापू ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की सुचिता भंग की है । इसका उन्हें प्रायश्चित करना चाहिए। उधर, बीते शनिवार की देर शाम युवाओं ने मोरारी बापू का गोदौलिया चौराहे पर प्रतीक रूप से पुतला फूंक उन पर जमकर निशाना साधा।

गौरतलब हो कि बीते बुधवार को आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू की धर्म पत्नी नर्मदाबा का गुजरात के भावनगर जिले के तलगाजरडा गांव में निधन हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मोरारी बापू से फोन पर बात कर शोक जताया था। पत्नी के मृत्यु के तीन दिन बाद ही मोरारी बापू काशी में राम कथा सुनाने आए हैं। इसको लेकर लोगों में नाराजगी है। लोगों का कहना हैं कि मोरारी बापू सूतक काल में ही वाराणसी आए है। सनातन धर्म में परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु के बाद कुछ दिनों तक धार्मिक कार्यों को वर्जित माना जाता है। सनातन परंपरा के अनुसार, इस दौरान मंदिर जाना, पूजा करना, कथा कहना वर्जित होता है। मोरारी बापू इस सनातनी परंपरा का उल्लंघन कर रहे है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी