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बीकानेर, 15 जून (हि.स.)। विद्यार्थियों को प्राकृतिक चिकित्सा व योग की शिक्षा देने के लिए महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय (एमजीएसयू) ने गंगाशहर स्थित राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के साथ एक एमओयू किया है। इसके तहत अब थ्योरी की पढ़ाई विश्वविद्यालय में होगी और प्रेक्टिकल प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में आयोजित होंगे। दोनों संस्थानों के मध्य इस सम्बन्ध में एमओयू हुआ है। इस उपलक्ष में राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र गंगाशहर में रविवार को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलगुरू आचार्य मनोज दीक्षित का अभिनंदन किया गया।
इस मौके पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कुलगुरू आचार्य मनोज दीक्षित ने मीडिया को बताया कि राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के साथ हमारा एमओयू हो गया है। नई शिक्षा नीति के तहत यह तय हुआ कि भारतीय ज्ञान परम्परा की जो भी चिकित्सकीय पद्धतियां है उनमें भावी पीढ़ी को शिक्षित किया जाए इसके तहत हमने प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र से एक समझौता यानी एमओयू किया है। अब विद्यार्थियों को प्राकृतिक चिकित्सा में शिक्षित किया जाएगा।
दीक्षित ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए बताया कि अब प्राकृतिक चिकित्सा में शैक्षणिक अनुसंधान, शोधार्थियों को व्यवहारिक अनुभव, सेमिनार, रिचर्स प्रोजेक्ट के तहत ईंटरशिप व फील्ड विजिट कराएंगे। इससे नई रोजगार की संभावनाएं व उधमिता का अवसर हमारी भावी पीढ़ी को मिलेगा। इसके अलावा स्वस्थ जीवन शैली में प्राकृतिक चिकित्सा का उपयोग सैद्धांतिक ज्ञान के साथ ही प्रायोगिक ज्ञान के शिविर आयोजन करवाकर जनजागरण अभियान भी चलाएंगे ताकि प्राकृतिक चिकित्सा को विकसित किया जा सके।
राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के मंत्री बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि इस एमओयू से भविष्य में यहां पर राष्टीय व अंतरराष्टीय सेमिनार आयोजित किए जाएंगे। इस भवन को विकसित कर यहां संसाधन जुटाए जाएंगे ताकि शोधार्थियों व विद्यार्थियों को शिक्षा व कोचिंग के दौरान आवश्यक सुविधाएं मिल सकें। शर्मा ने बताया कि राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र पूरे प्रदेश का प्रथम प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र है इसकी स्थापना 1951 में संस्थापक देवेन्द्र दत्त शर्मा ने की थी। बाद में वैध महावीर प्रसाद शर्मा ने यहां पर लंबी सेवाएं दी और बीकानेर की जनता को प्राकृतिक चिकित्सा से लाभान्वित किया।
इस मौके पर चिकित्सा अधिकारी डा. वत्सला गुप्ता ने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा में पंचमहाभूत शैली से चिकित्सा प्रदान की जाती है। यह औषधिविहिन उपचार की शैली है। हम लोग मरीज को कोई दवा नहीं देते बल्कि प्राकृतिक तरीके से उसे प्रकृति से जोड़कर उसका उपचार करते हैं। ये दमा की बीमारी, लीवर की बीमारी व पेटजनित बीमारियों में मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है। अंत में संस्थान के उपाध्यक्ष श्रीभगवान अग्रवाल ने सभी का आभार जताया।
इसी उपलक्ष्य में राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र परिसर में रविवार को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलगुरू आचार्य मनोज दीक्षित का अभिनंदन किया गया। कुलगुरू दीक्षित को शॉल ओढ़ाकर, साफा पहनाकर व एक अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में संस्थान के उपाध्यक्ष श्रीभगवान अग्रवाल, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष विजय आचार्य, संपत पारीक, भंवरलाल गहलोत, संतोष व्यास, हनुमानसिंह चावड़ा, मोहम्मद रमजान अब्बासी, मूलचंद सोलंकी, आशुतोष रावल, केदार अग्रवाल, चन्द्रमोहन जोशी, धीरज पंचारिया, हरीश बिश्नोई, अजय काजला सहित अनेक लोग मौजूद थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव