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हुगली, 15 जून (हि.स.) ।
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में शनिवार सुबह हुई एक ट्रेन दुर्घटना के बाद मानवता का अद्भुत उदाहरण सामने आया है। हादसे में गंभीर रूप से घायल एक महिला की जान उस समय बचाई जा सकी, जब राजकुमार ठाकुर नामक एक युवक ने बिना किसी कानूनी बाधाओं के डर के तत्परता दिखाते हुए उसे अस्पताल पहुंचाया।
हिन्दुस्थान समाचार से विशेष बातचीत में राजकुमार ने रविवार सुबह बताया कि यह घटना शनिवार सुबह करीब 9:30 से 10:00 बजे के बीच की है। ट्रेन से टक्कर लगने के बाद एक महिला रेलवे ट्रैक पर गंभीर रूप से घायल पड़ी थी। उसका शरीर लहूलुहान था और वह तड़प रही थी। उसके साथ एक छोटा बच्चा भी था। मौके पर कई लोग मौजूद थे, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था। लोगों में यह आशंका थी कि घायल को अस्पताल ले जाने पर पुलिस परेशान कर सकती है।
हालांकि, इन आशंकाओं को दरकिनार करते हुए राजकुमार ठाकुर ने न केवल महिला को संभाला बल्कि उसके बच्चे के साथ उसे श्रीरामपुर वॉल्श अस्पताल में भर्ती भी कराया। सूचना मिलने पर जीआरपी की टीम मौके पर पहुंची और राजकुमार से पूरी जानकारी जुटाई।
अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, करीब 30-35 साल की उस घायल महिला को 38 टांके लगे हैं। शनिवार देर रात उसे होश आ गया, हालांकि अभी वह बोलने की स्थिति में नहीं है। जीआरपी अधिकारियों का कहना है कि महिला की हालत अब स्थिर है और वह धीरे-धीरे ठीक हो रही है।
राजकुमार ठाकुर ने कहा, “मानवता से बढ़कर कुछ नहीं होता। अगर मुझे इसके लिए परेशान भी किया गया, तो भी कोई बात नहीं, लेकिन किसी को तड़प कर मरते नहीं देख सकता था।”
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि दुर्घटना में घायल किसी भी व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने वाले को पुलिस या प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की परेशानी नहीं दी जा सकती। इसके बावजूद पुलिस प्रशासन के बर्ताव की वजह से समाज में आज भी ऐसे डर मौजूद हैं जो लोगों को पीड़ितों की मदद से रोकते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर