गुरुग्राम: इजरायल व इरान में बढ़ते टकराव से उद्योगों के लिए हो सकता है खतरा: दीपक मैनी
दीपक मैनी।


-ऊर्जा कीमतों में तेजी से उद्योगों की लागत बढ़ेगी

-आयात-निर्यात संतुलन पर असर पडऩे की आशंका

गुरुग्राम, 15 जून (हि.स.)। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता सैन्य टकराव न केवल मध्य-पूर्व क्षेत्र की स्थिरता के लिए, बल्कि वैश्विक व्यापारिक ढांचे और भारत जैसे आयात-आधारित देशों के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकता है। स्ट्रेट ऑफ होरमुज, जो वैश्विक कच्चे तेल आपूर्ति का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा वहन करता है, यदि बाधित होता है तो भारत की ऊर्जा आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित होगी। यह कहना है प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (पीएफटीआई) के चेयरमैन दीपक मैनी का। रविवार को बातचीत में दीपक मैनी ने कहा कि गुरुग्राम भारत का एक प्रमुख औद्योगिक और कॉरपोरेट हब है। यहां से बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल्स, टेक्सटाइल, फार्मा और इंजीनियरिंग गुड्स का उत्पादन होता है, जो अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में निर्यात किए जाते हैं। गुरुग्राम की लॉजिस्टिक्स निर्भरता मुंबई, कांडला और गुजरात के अन्य बंदरगाहों पर है, जिनके जरिए माल मिडल ईस्ट, यूरोप और अफ्रीका भेजा जाता है। इनमें से अधिकांश मालवाहक जहाज स्ट्रेट ऑफ होरमुज से होकर गुजरते हैं।उन्होंने कहा कि भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का लगभग 80 प्रतिशत आयात करता है और इसमें से बड़ी हिस्सेदारी इसी मार्ग से होकर आती है। अगर यह आपूर्ति शृंखला धीमी या ठप हो जाती है, तो घरेलू बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी संभव है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा लागत में वृद्धि का सीधा असर निर्माण, परिवहन और सेवा क्षेत्र पर पड़ेगा जिससे महंगाई और औद्योगिक उत्पादन लागत में भारी बढ़ोतरी होगी। इससे न केवल उपभोक्ता कीमत सूचकांक पर दबाव बनेगा, बल्कि भारत के लघु और मध्यम उद्योगों के सामने टिके रहना एक चुनौती बन जाएगा। दीपक मैनी ने इस बात पर भी चिंता जताई कि यदि यह संघर्ष लम्बा चलता है और अमेरिका, चीन, रूस जैसे बड़े देश इसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होते हैं तो वैश्विक सप्लाई चेन और इन्वेस्टमेंट फ्लो पर स्थायी असर पड़ेगा। भारत के एक्सपोर्ट पर भी दबाव आएगा, खासकर पेट्रो-केमिकल्स, इंजीनियरिंग गुड्स, टेक्सटाइल्स और फार्मा जैसे सेक्टर में।

उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि वह अपने कूटनीतिक प्रयास तेज करे ताकि दोनों पक्षों के बीच तनाव को कम करने की दिशा में वैश्विक स्तर पर पहल की जा सके। साथ ही, यह भी जरूरी है कि भारत वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की आपूर्ति पर तुरंत काम शुरू करे, ताकि किसी संभावित आपूर्ति संकट से देश की आर्थिक प्रगति पर प्रभाव न पड़े।

हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर