भगवान को पाने का भक्ति मार्ग सर्वश्रेष्ठ है : श्रीकांत शर्मा
कथास्थल  सुनते श्रद्धालुओं की तस्वीर


रांची, 15 जून (हि.स.) । राजधानी के अग्रसेन भवन के सभागार में श्री मदभागवत कथा के तृतीय दिवस पर रविवार को मुख्य यजमान

लता देवी केडिया, ओम प्रकाश केडिया, निरंजन, अजय, संजय केडिया ने श्रीमदभागवत और ब्यास पूजन किया।

कथा के मुख्यसार को बताते हुए श्रीकांत महाराज ने कहा कि आज ईश्वर की प्राप्ति अपेक्षाकृत मनुष्य शरीर की प्राप्ति से ज्यादा सुलभ है। क्योंकि मनुष्य शरीर की प्राप्ति के लिए एक निश्चित समय सीमा होती है, जो लगती ही लगती है।

ईश्वर की प्राप्ति जीव को यदि वह समर्पण भाव से प्रभु को याद करें तो सात दिन क्या एक क्षण में हो सकता है ।

तप में ईश्वर को प्राप्त करने की शक्ति होती है। तप की शक्ति के बल पर ही ध्रुव ने भगवान को छह महीने में साक्षात रूप में पा लिया। विवेक को सदैव सुरक्षित रखना चाहिए, क्योंकि एक बार विवेक नष्ट हो जाता है तो सौ गुणा विपत्ति आ जाती है। जीवन में भी जिसके साथ सुमति होती है उसकी संताने देवतुल्य संस्कारिक होती हैं, जिसकी मती कुमति होती है उसकी राक्षस जैसे निकृष्ट होती है।

इसलिए ईश्वर से सदैव सुमति की मांग करनी चाहिये।

उन्होंने कहा कि कपिल मुनि का वचन है कि ईश्वर से जुड़ने का नाम ही योग है। आसन प्राणायाम सहायक हो सकते हैं मूल नहीं ,साधक सत्य का लय ईश्वर में करता है ।आयु का अंतिम दिन सुखद हो इसके लिए एकाग्रता के साथ भक्ति करना जरूरी है ।

इस अवस्रर ओमप्रकाश केडिया, निरंजन केडिया ,अजय केडिया, संजय केडिया,निर्मल बुधिया,प्रमोद सारस्वत, प्रेमचंद श्रीवास्तव , राजू पोद्दार, राम कुमार जी, प्रमोद बजाज, बसंत मुरारका, विनोद झुनझुनवाला, कमल सिंघानिया सहित अन्य मौजूद थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak