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अयोध्या, 15 जून (हि.स.)। श्रीकांची शांकर वेद विद्यालय कांचीमठ प्रमाेदवन, अयोध्याधाम के प्राचार्य अशोक वैदिक ने कहा कि यह पावन पुनीत श्रीअवध धाम है। जिसे सप्तपुरियाें में मस्तक कहा गया है। यह साताें पुरी में मस्त के समान है। अवध धाम की बड़ी ही महिमा है। जहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने अवतार लेकर सबका कल्याण किया। सभी को मर्यादा का पाठ पढ़ाया। उन्होंने पूरी दुनिया काे मानवता का संदेश दिया। भगवान श्रीराम जैसा कोई नही है। आज सारा संसार उनका गुणगान कर रहा है। एक आदर्शवादी राजा, पिता, पुत्र, भाई, पति आदि के रूप में भगवान श्रीराम सभी जगह खरा उतरे। उन्होंने सबकाे मर्यादित जीवन जीना सिखाया।
प्राचार्य ने कहा कि जैसा की शास्त्राें में अवध धाम की महिमा गाई गई है। अयोध्या नाम ही अपने आप में भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश का स्वरूप है। केवल अयोध्या नाम लेने मात्र से ही तीनाें देवताओं के नाम लेने का फल मिल जाता है। साठ हजार वर्षों तक गंगा तट पर रहकर भजन-साधना करने का जाे फल है। वह फल केवल अयोध्यापुरी के दर्शन करने मात्र से ही मिल जाता है। अयाेध्यापुरी की महिमा काे बढ़ाने के लिए भगवान के नेत्रों से नेत्रजा सरयू मैया प्रकट हुई हैं। जिनके बारे में कहा गया है कि- काेटि कल्प काशी बसे, मथुरा कल्प हजार। एक निमिष सरयू बसे, तुले न तुलसीदास।। ऐसी मां सरयू, अयोध्या धाम और हमारे प्रभु श्रीराम की महिमा है। अब ताे आनंद ही नही, महा आनंद का अवसर हम सबकाे मिला है। जब सदियों की प्रतीक्षा बाद श्रीरामजन्मभूमि पर हमारे श्रीरामलला और राम दरबार विराजित हुए हैं। भक्ताें के हृदय का वह आनंद, ब्रह्मानंद में परिवर्तित हाे रहा है। नित्य प्रति अनेकानेक भक्त श्रीधाम अवध में पधार रहे और बड़े भाव से श्रीरामलला का दर्शन कर रहे हैं। सदियों की आस हमारी पूरी हुई। हम सब श्रीरामजन्मभूमि पर रामलला और रामदरबार के रूप राजा राम के प्रतिष्ठित हाेने की खुशी में नित्य उत्सव मना रहे हैं। उत्सव से पूरी अयाेध्यानगरी आहलादित है, जिसमें रमकर साधु-संत, श्रद्धालु, भक्त गाेता लगा रहे हैं। वह भक्तिभाव में पूरी तरह रमे हुए हैं। जिनकी खुशी का ठिकाना देखते हुए बन रहा है। अयोध्या धाम का पूरा वातावरण भक्तिमय माहाैल सराबाेर हाे गया है। इससे श्रद्धालु, भक्त उल्लासित हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय