हिमाचल में पशुपालन योजनाओं से ग्रामीण आर्थिकी को मिल रहा नया बल
हिमाचल में पशुपालन योजनाओं से ग्रामीण आर्थिकी को मिल रहा नया बल


शिमला, 15 जून (हि.स.)। ग्रामीण जीवन में पशुपालन की महत्ता को देखते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार इस क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए लगातार ठोस कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार ने पशुपालकों के लिए विभिन्न योजनाएं आरंभ की हैं, जिनसे ग्रामीण आर्थिकी को मजबूती मिल रही है और युवाओं के लिए आजीविका के नए अवसर सृजित हो रहे हैं।

एक सरकारी प्रवक्ता ने रविवार को ये जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि प्रदेशभर में मोबाइल वैटर्नरी यूनिट के माध्यम से अब घर-द्वार पर पशुओं का इलाज संभव हो पाया है। 44 चिकित्सा वाहन सेवा में हैं जो पूरे प्रदेश में बीमार पशुओं का उपचार कर रहे हैं। पशुपालकों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए 1962 टोल फ्री हेल्पलाइन शुरू की गई है, जिस पर अब तक पशु रोग संबंधी 18,723 और अन्य 17,850 शिकायतें दर्ज हुई हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे पशुपालकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर गर्भित पशु आहार उपलब्ध करवाया जा रहा है। अब तक 31,110 पशुपालकों को इस योजना का लाभ दिया गया है।

प्रवक्ता के मुताबिक राज्य सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए गाय व भैंस के दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। हिमाचल देश का पहला राज्य है जो यह पहल कर रहा है। वर्तमान में प्रतिदिन औसतन 38,400 पशुपालकों से 2.25 लाख लीटर गाय का दूध 51 रुपये प्रति लीटर और 1,482 पशुपालकों से 7,800 लीटर भैंस का दूध 61 रुपये प्रति लीटर समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है। इसके अतिरिक्त बकरी के दूध की खरीद भी 70 रुपये प्रति लीटर की दर से पायलट आधार पर शुरू की गई है।

उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नई दुग्ध उपार्जन सहकारी समितियों का गठन किया गया है और अब तक 5,166 किसानों को इससे जोड़ा गया है। हिम कुक्कुट पालन योजना के तहत 6 लाख से अधिक ब्रॉयलर चूजे वितरित किए गए हैं और 155 व्यावसायिक इकाइयों की स्थापना के लिए 6.13 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा