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रुद्रप्रयाग, 15 जून (हि.स.)। उत्तराखंड के चारधाम क्षेत्र में एयर कनेक्टिविटी तो बढ़ी है, पर सुरक्षा के इंतजाम नहीं हो पाये हैं। यहां, संकरी घाटी, सघन वन क्षेत्र से होकर हेलिकॉप्टर गुजरते हैं, जिससे निरंतर खतरे की आशंका बनी रहती है।
प्रदेश के सबसे दुर्गम क्षेत्रों में एक केदारनाथ के लिए गौरीकुंड से वी-आकार की संकरी घाटी से हेलिकॉप्टरों के गुजरते समय यहां सबसे अधिक खतरा बना रहता है। बावजूद अभी तक केदारनाथ सहित पूरे पहाड़ में सुरक्षित हेलीकॉप्टर सेवा के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवर स्थापित नहीं हो पाये हैं।
जून 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद से केदारनाथ सहित चारधाम क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर सेवा काे खूब रफ्तार मिली है। केदारनाथ यात्रा में तो हेलिकॉप्टर सेवा नित नये रिकाडर् बना रही है। यहां संकरी घाटी से प्रतिदिन नौ हेलकॉप्टर 220 से अधिक शटल कर रहे हैं। जबकि यह, क्षेत्र सबसे दुर्गम और संकरा क्षेत्र है।
पूरे प्रदेश में केदारनाथ, श्रीनगर-चौरास, पौड़ी, देहरादून से गंगोत्री, यमुनोत्री, गौचर सहित कुमाऊं मंडल के कई इलाकों के लिए हेलिकॉप्टर सेवा संचालित की जाती रही हैं। इन जगहों में ज्यादातर दुर्गम, संकरी घाटी और सघन वन क्षेत्र वाले हैं। यहां मौसम कब खराब हो जाए, कहना मुश्किल है। इन हालातों में यहां हेलिकॉप्टर और चॉपर की उड़ान के दौरान पायलट को हवा की दिशा और दबाव के बारे में अनुमान के हिसाब से ऊंचाई व रफ्तार नियंत्रित करनी होती है। केदारनाथ में तो लाल रंग की झाडियों के सहारे हवा की दिशा का अनुमान लगाकार हेलीकॉप्टर उड़ान भरते आ रहे हैं। जबकि इस क्षेत्र में एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवर की सबसे ज्यादा जरूरत है। इस सुविधा से पायलट को हवा की दिशा, हवा का दबाव सहित क्षेत्र के तापमान के बारे में त्वरित मिल जाती हैं, जिससे दुर्घटना का खतरा कम से कम हो जाता है।
केदारनाथ सहित पहाड़ के कहीं भी यह सुविधा नहीं है। इस दिशा में उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूकाडा) और प्रदेश सरकार द्वारा भी इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किये गए हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / दीप्ति