कुलपति की अध्यक्षता में गोरखपुर विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक में लिए गए कई अहम निर्णय
कुलपति की अध्यक्षता में गोरखपुर विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक में लिए गए कई अहम निर्णय


गोरखपुर, 15 जून (हि.स.)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक कुलपति प्रो. पूनम टंडन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में विश्वविद्यालय के शैक्षणिक, प्रशासनिक एवं वित्तीय विषयों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया तथा कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को अनुमोदन प्रदान किया गया।

कार्य परिषद की बैठक में सम्बद्धता समिति की संस्तुतियों को स्वीकृति दी गई, जिसके अंतर्गत शैक्षणिक सत्र 2025-26 से सम्बद्ध महाविद्यालयों में नवीन पाठ्यक्रमों की शुरुआत, पुराने पाठ्यक्रमों का विस्तार और स्थायी सम्बद्धता प्रदान करने के निर्णय लिए गए।

कार्य परिषद ने पुराने महाविद्यालयों में पुराने पाठ्यक्रमों के 13 मामलों में सम्बद्धता विस्तार की स्वीकृति दी गई, जबकि पुराने महाविद्यालयों द्वारा प्रस्तावित 14 नवीन पाठ्यक्रमों को पाठ्यक्रम तक अस्थायी सम्बद्धता प्रदान की गई। 28 मामलों में स्थायी सम्बद्धता प्रदान की गई।

इसके साथ ही बी.एड. पाठ्यक्रम संचालित 63 महाविद्यालयों को सम्बद्धता विस्तार और बी.एड. के अतिरिक्त अन्य विषयों में 190 महाविद्यालयों को सम्बद्धता विस्तार की अनुमति दी गई।

तीन नवीन महाविद्यालयों के प्रस्ताव पर संबद्धता की प्रक्रिया शीघ्र ही पूरी कर ली जाएगी।

वीर बहादुर सिंह महिला महाविद्यालय, पीपीगंज, गोरखपुर की सम्बद्धता, महाविद्यालय द्वारा किये गये आवेदन के आधार पर समाप्त की गई।

नवीन पाठ्यक्रमों की श्रेणी में बी.एस-सी. के 15, बी.ए. के 7, बी.कॉम. के 3, बी.जे. (पत्रकारिता) के 1, बी.सी.ए. के 6, बी.बी.ए. के 1, एम.ए. के 5, एम.एस-सी. के 1 तथा एम.कॉम. के 1 मामले सम्मिलित हैं। इस प्रकार कुल 40 मामलों में नवीन पाठ्यक्रमों के लिए अस्थायी सम्बद्धता प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त पुराने पाठ्यक्रमों से संबंधित कुल 294 मामलों में सम्बद्धता प्रदान की गई है।

बैठक के बाद कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि विश्वविद्यालय की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि सम्बद्धता प्रक्रिया में गुणवत्ता, पारदर्शिता और समयबद्धता बनी रहे। सम्बद्धता प्रक्रिया को पूरी निष्पक्षता के साथ संचालित किया जा रहा है जिससे क्षेत्रीय स्तर पर शिक्षा की पहुँच और गुणवत्ता दोनों में सुधार हो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए हम उच्च शिक्षा को अधिक सुलभ, समावेशी और नवाचारपूर्ण बनाने के लिए सतत प्रयासरत हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय