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-पाँच अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों को आशय पत्र प्रदान किया
मुंबई, 14 जून (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को मुंबई में कहा कि विकसित भारत के लिए नई शिक्षा नीति सहायक साबित होगी। मुंबई सपनों का शहर है और देश की आर्थिक राजधानी भी। ऐसे में यहाँ पाँच विदेशी विश्वविद्यालयों का आना शिक्षा हब के रूप में शहर की छवि को और मज़बूत करेगा। केंद्रीय मंत्री ने आज यहां इन पांच अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों को आशय पत्र प्रदान किया।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि नई शिक्षा नीति से विदेशी विश्वविद्यालय भारत में आ सकेंगे और भारतीय संस्थाएँ विदेश में अपनी शाखाएँ खोल सकेंगी। आईआईटी, आईआईएम, आईएसएफ और सिम्बायोसिस जैसी संस्थाएँ विदेशों में भी फैल रही हैं। ऐसे निर्णय भारत को विकसित और शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। आज यूनिवर्सिटी ऑफ एबरडीन (यूके), वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय (ऑस्ट्रेलिया), यॉर्क विश्वविद्यालय (यूके), इलिनॉय इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (अमेरिका) और इस्तितुतो यूरोपीओ दी डिज़ाइन इटली को आशय पत्र दिया गया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों का पहला शैक्षणिक हब मुंबई और नवी मुंबई में स्थापित किया जा रहा है। अब भारतीय छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी क्योंकि राज्य सरकार ने आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत पाँच विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ आशय पत्र प्रदान किए हैं।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल, केंद्रीय शिक्षा सचिव एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष विनीत जोशी, अपर मुख्य सचिव असीम कुमार गुप्ता, सिडको के प्रबंध निदेशक विजय सिंघल, ब्रिटेन की उच्चायुक्त लिंडी कैमरॉन, ऑस्ट्रेलिया के कॉन्सुल जनरल पॉल मर्फी, अमेरिका के कॉन्सुल जनरल माइक हैंकी, इटली के कॉन्सुल जनरल वॉल्टर फेरारा, यूनिवर्सिटी ऑफ एबरडीन के प्रोफेसर सिलादित्य भट्टाचार्य, यॉर्क विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर चार्ली जेफ्री, वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय के उपकुलपति गॉय लिटलफेयर, इलिनॉय इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अध्यक्ष डॉ. राज ईचंबाडी, और आईईडी के डीन रिकार्डो बाल्बो उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजबहादुर यादव