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बलरामपुर, 14 जून (हि.स.)। सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष बसंत कुजूर के नेतृत्व में शुक्रवार शाम को आदिवासी समाज के पदाधिकारी बलरामपुर संयुक्त जिला कार्यालय पहुंचे।
इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपकर प्रस्तावित जाति जनगणना में आदिवासी धर्म कोड को अलग से शामिल करने की मांग की। ज्ञापन में कहा कि, वर्तमान जनगणना प्रक्रिया में केवल छह धर्म हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन को ही मान्यता प्राप्त है, जबकि देश में करोड़ों की संख्या में निवासरत आदिवासी समाज की अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान है, जो अलग धर्म कोड की मांग करती है। 1871 से 1951 तक की जनगणनाओं में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड मौजूद था, जिसे बाद में समाप्त कर दिया गया।
आदिवासी समाज ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पूजा-पद्धति पूरी तरह से प्रकृति पर आधारित है और इसे मान्यता मिलनी चाहिए। उन्होंने अपने ज्ञापन में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 5 जनवरी 2011 को दिए गए निर्णय का भी हवाला दिया।
हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पांडेय