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कोलकाता, 14 जून (हि.स.)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोलकाता में गिरफ्तार पाकिस्तानी नागरिक आज़ाद मल्लिक के खिलाफ फर्जी भारतीय पासपोर्ट और हवाला रैकेट के साथ-साथ फर्जी वोटर आईडी घोटाले में भी सीधी संलिप्तता का नया खुलासा किया है। अप्रैल में गिरफ्तार किए गए मल्लिक की भूमिका अब फर्जी मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) बनवाने और उन्हें अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों तक पहुंचाने में भी उजागर हुई है।
ईडी के सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसी को कुछ ठोस सुराग मिले हैं जिनके आधार पर यह साफ हुआ है कि मल्लिक ने सीमावर्ती जिलों में खासतौर पर अवैध घुसपैठियों के लिए वोटर आईडी की व्यवस्था की। ईडी ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय से 78 ईपीआईसी धारकों का विवरण मांगा है, जिनमें से कम से कम 55 कार्डों की व्यवस्था मल्लिक ने की थी। ये कार्ड मुख्यतः उत्तर 24 परगना और नदिया जिलों के लोगों के लिए बनाए गए थे।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने संबंधित जिलों के जिला अधिकारियों से सूचीबद्ध व्यक्तियों की पहचान की पुष्टि करने को कहा है और इस जांच रिपोर्ट को जून के अंत तक ईडी को सौंपा जाएगा।
पूछताछ के दौरान आज़ाद ने कथित रूप से यह स्वीकार किया कि उसका नाम उत्तर 24 परगना जिले के दमदम-उत्तर विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज था और उसने वर्ष 2021 और 2024 के चुनावों में मतदान भी किया। ईडी ने इस संबंध में निर्वाचन आयोग से दस्तावेज़ भी मांगे हैं जिनके आधार पर मल्लिक को वोटर आईडी जारी की गई थी।
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विदेशी नागरिकों द्वारा भारतीय पहचान दस्तावेज प्राप्त करने का मुद्दा राजनीतिक रूप से संवेदनशील बन चुका है।
इसी क्रम में शुक्रवार को सीईओ कार्यालय ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए न्यूटन दास नामक व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से हटाया। दास भारत और बांग्लादेश की दोहरी नागरिकता रखता था और पिछले वर्ष बांग्लादेश में छात्र आंदोलन में सक्रिय रहा था। उसका नाम दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज था।
मल्लिक का मामला इससे भी अधिक जटिल है। अप्रैल में गिरफ्तारी के समय ईडी के पास मौजूद दस्तावेजों से पहले यह प्रतीत हुआ था कि वह बांग्लादेशी नागरिक है, जिसने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय पहचान पत्र और पासपोर्ट प्राप्त किया। लेकिन 29 अप्रैल को ईडी ने कोलकाता की विशेष अदालत को सूचित किया कि मल्लिक ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि वह मूल रूप से पाकिस्तान का नागरिक है। उसने पहले फर्जी दस्तावेजों से बांग्लादेश की नागरिकता ली और फिर वही प्रक्रिया अपनाकर भारतीय पहचान दस्तावेज हासिल किए।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर