जिला जज के नेतृत्व में जिला कारागार का संयुक्त निरीक्षण
जेल का निरीक्षण करते जिला जज


बांदा, 13 जून (हि.स.)। जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बांदा देवेन्द्र सिंह के नेतृत्व में शुक्रवार को जिला कारागार-बांदा का संयुक्त निरीक्षण किया गया। इस अवसर पर प्रथम अपर जिला जज चन्द्रपाल, अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीपाल सिंह, जिलाधिकारी जे. रीभा, पुलिस अधीक्षक पलाश बसंल, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रफुल्ल कुमार चौधरी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने बैरक संख्या 06, 9A, 9B, UA, UB, कारागार अस्पताल एवं पाकशाला का जायजा लिया। बंदियों से संवाद कर उन्हें यह जानकारी दी गई कि अधिवक्ता उपलब्ध न होने की स्थिति में उन्हें निःशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराए जाएंगे। इस क्रम में तीन बंदियों को पहले ही निःशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराए जा चुके हैं।

पाकशाला निरीक्षण में देखा गया कि भोजन मेनू के अनुसार अरहर की दाल, रोटी, चावल तथा आलू-कुल्फा की सब्जी तैयार की जा रही थी। जिला जज देवेन्द्र सिंह ने वाटर ड्रेनेज सिस्टम का निरीक्षण करते हुए जेल अधीक्षक अनिल कुमार गौतम को निर्देशित किया कि खुली नालियों को शीघ्र बंद किया जाए, जिससे मच्छरों एवं गंदगी की समस्या से बचाव हो सके।

जिलाधिकारी ने पीने के पानी की व्यवस्था की जांच की जो संतोषजनक पाई गई। जिला जज ने कारागार अस्पताल में भर्ती गंभीर रूप से बीमार, विशेष रूप से कैंसर पीड़ित दो बंदियों से मुलाकात कर उनके इलाज व खान-पान की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त की। साथ ही, उन्होंने ऐसे बंदियों को जानकारी दी जिनकी जमानत उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है तथा जिनके पास निजी अधिवक्ता नहीं हैं वे सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रार्थना पत्र देकर विधिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

निरीक्षण के दौरान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 03.10.2024 (रिट याचिका सिविल संख्या-1404/2023, सुकन्या सान्था बनाम भारत संघ व अन्य) के अनुपालन में बंदियों से जातीय भेदभाव अथवा अस्पृश्यता संबंधी किसी भी प्रकार की शिकायत के बारे में जानकारी ली गई। सभी बंदियों को जागरूक किया गया कि वे आपस में सामाजिक समरसता बनाए रखें और यदि किसी प्रकार का भेदभाव अनुभव होता है तो इसकी सूचना सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा को दी जा सकती है। निरीक्षण में यह भी पाया गया कि कारागार अभिलेखों में बंदियों की जाति का कॉलम नहीं है।

महिला बैरकों के निरीक्षण में दो महिला बंदियों ने बताया कि उन्हें मुकदमे की पैरवी हेतु निःशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराए गए हैं। जिलाधिकारी ने एक महिला बंदी को विधिक सलाह दी तथा पुलिस अधीक्षक ने महिला बंदियों को मिलने वाले वेजेज (मजदूरी) के संबंध में जानकारी प्राप्त की।

निरीक्षण के दौरान जेल अधीक्षक अनिल कुमार गौतम, जेलर राकेश कुमार मौर्य, उपजेलर निर्भय सिंह, सुश्री मधुरपाल, डॉ. संजीव वर्मा, डॉ. सर्वजीत कुमार, राशिद अहमद (डीईओ, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण) एवं गजेन्द्र कुमार (आंशुलिपिक, जनपद न्यायालय) सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल सिंह