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जम्मू, 14 जून (हि.स.)। जम्मू प्रोविंस बचाओ मंच (जेबीएम) ने शनिवार को एक कड़ी प्रेस वार्ता में जम्मू क्षेत्र में गंभीर होते जन समस्याओं पर सरकार को आड़े हाथों लिया। मंच के अध्यक्ष, वरिष्ठ अधिवक्ता व पूर्व विधायक अशोक शर्मा ने कहा कि भीषण गर्मी में बिजली की अघोषित कटौती, बढ़ती आपराधिक गतिविधियाँ और नायब तहसीलदार भर्ती परीक्षा में उर्दू को अनिवार्य बनाना जन विरोधी नीतियों का प्रतीक है। शर्मा ने कहा, 46 डिग्री सेल्सियस तापमान में जनता तड़प रही है, बुज़ुर्ग, मरीज, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र बिजली के बिना बुरी तरह परेशान हैं और प्रशासन के पास कोई स्पष्ट योजना नहीं है। उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि जम्मू-कश्मीर में 20,000 मेगावाट से अधिक हाइड्रोपावर क्षमता है, फिर भी अब तक सिर्फ 3,549 मेगावाट ही दोहन किया गया है।
डॉ. कुलदीप शर्मा, मुख्य प्रवक्ता ने जम्मू में चिट्टा जैसे सिंथेटिक नशों की खुली बिक्री और नशीली दवाओं की आपराधिक गतिविधियों को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा, कानून व्यवस्था चरमरा गई है, और नशे का नेटवर्क जड़ों तक नहीं तोड़ा जा रहा है। इससे आम नागरिकों में भय का माहौल है। पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश के.वाई.एस. मनहास ने सीमावर्ती इलाकों में लोगों के लिए बंकर, सुरक्षित ठिकाने, स्कूल व चिकित्सा सुविधाओं की मांग की और सरकार द्वारा घोषित मुआवजा राशि को अपर्याप्त बताया।
सतीश पूँछी, उपाध्यक्ष मंच, ने नायब तहसीलदार भर्ती परीक्षा में उर्दू भाषा को अनिवार्य करने के फैसले की आलोचना करते हुए इसे तानाशाहीपूर्ण और अन्यायपूर्ण बताया। उन्होंने मांग की कि “सरकार इस आदेश को तुरंत निरस्त करे और नई अधिसूचना बिना भाषा बाध्यता के जारी करे। कैप्टन एल.के. शर्मा, डी.एस. जम्वाल (महासचिव), बलजीत सिंह मनहास, इंजीनियर महेश शर्मा, प्रियंका शर्मा, निशु राजपूत समेत कई प्रमुख सदस्य प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित थे। मंच ने चेतावनी दी कि यदि सरकार जन भावनाओं की अनदेखी करती रही तो जन आंदोलन शुरू किया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा