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- प्राचीन धार्मिक धरोहरों के संरक्षण को सहभागिता जरूरी: ऐश्वर्या
रुद्रप्रयाग, 14 जून (हि.स.)। देव सेनापति भगवान कार्तिकेय के मंदिर कार्तिक स्वामी में आयोजित ग्यारह दिवसीय महायज्ञ व पुराणवाचन अनुष्ठान के दसवें दिन 51 जल कलश के साथ भव्य जलकलश यात्रा का आयोजन किया गया। इस मौके पर पूरा मंदिर क्षेत्र भगवान कार्तिकेय के जयकारों से गूंज उठा। मंदिर परिसर में पुजारियों ने वेद मंत्रोच्चार के बीच विश्व कल्याण के लिए महायज्ञ में आहुतियां दी। आज, रविवार को अनुष्ठान पूर्णाहुति के साथ संपन्न होगा।
शनिवार को सुबह कार्तिक स्वामी मंदिर में आराध्य भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना शुरू हुई। इस मौके पर पुजारियों ने सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया। इसके उपरांत प्राचीन जलकुंड से मंदिर तक 51 जल कलश के साथ जलकलश यात्रा निकाली गई।
जल कलशों के पावन जल से भगवान कार्तिकेय का अभिषेक किया गया। इस मौके पर भगवान कार्तिकेय, बाबा केदार और पंचनामा देवताओं के जयकारों से गूंज उठा। साथ ही महायज्ञ में पुजारियों ने 1100 आहुतियां देकर विश्व कल्याण की कामना की। अनुष्ठान में देव नृत्य का आयोजन हुआ, जिसमें भगवान कार्तिकेय अपने पश्वा पर अवतरित हुये और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया।
इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष ऐश्वर्या रावत ने कहा कि भगवान कार्तिकेय का कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तर भारत का एकलौता मंदिर है। बीते दो वर्षों से यहां दक्षिण भारत के श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और भव्य अनुष्ठान भी हो रहा है, जो सुखद है। उन्होंने कहा कि हमें अपने प्राचीन मठ-मंदिरों और अन्य स्थलों के प्रचार-प्रसार के साथ ही संरक्षण और सौंदर्यीकरण के लिए मिलकर कार्य करना चाहिए।
इस मौके पर बदरीनाथ विधानसभा के विधायक लखपत बुटोला और केदारनाथ विस के पूर्व विधायक मनोज रावत ने कहा कि इस तरह के आयोजन नई पीढ़ी को धर्म, संस्कृति और रीति-रीवाजों से जोडऩे में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से यहां देश-विदेश के हजारों श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं, जिससे यह धार्मिक स्थान विश्व मंच पर पहचान बना रहा है।
कार्तिकेय मंदिर समिति के अध्यक्ष विक्रम सिंह नेगी ने कहा कि क्षेत्रवासियों के सहयोग से अनुष्ठान हो रहा है। वहीं मंदिर के प्रबंधक पूरण सिंह नेगी ने कहा कि कनकचौंरी से मंदिर तक सुविधाअेां की बेहतरी के साथ ही प्रस्तावित रोपवे का निर्माण जरूरी है।
हिन्दुस्थान समाचार / दीप्ति