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जयपुर, 14 जून (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने बिजली विभाग के कर्मचारी के कोमा में जाने पर उसे सेवानिवृति तक नियमित वेतन का अधिकारी माना है। अदालत ने जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को कहा है कि वह मेडिकल टीम के जरिए कर्मचारी की दिव्यांगता की जांच दो सप्ताह में पूरी करे। वहीं मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर दिव्यांगजन अधिनियम की धारा 20 के तहत निर्णय करे। जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश कर्मचारी लक्ष्मण सेन की पत्नी गुडिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के पति जेवीवीएनएल में तकनीकी सहायक है। एक दुर्घटना में वह घायल होकर कोमा में चले गए। इसके बाद बिजली कंपनी ने उनका वेतन बंद कर दिया। जबकि दिव्यांगजन अधिनियम की धारा 20 में प्रावधान है कि यदि कोई कर्मचारी दिव्यांग हो जाए तो उसे उसकी सेवानिवृति की उम्र तक नियमित वेतन दिया जाएगा। ऐसे में बिजली कंपनी को निर्देश दिए जाए कि वह याचिकाकर्ता के पति का नियमित वेतन जारी करें। इसके जवाब में बिजली कंपनी की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता के पति की ओर से दिव्यांगता को लेकर कोई प्रमाण पत्र नहीं दिया है। ऐसे में उन्हें नियमित वेतन का लाभ नहीं दिया गया। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने बिजली कंपनी को दो सप्ताह में याचिकाकर्ता के पति की मेडिकल जांच कर रिपोर्ट के आधार पर धारा 20 के तहत आगामी कार्रवाई करने को कहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक