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सुप्रीम कोर्ट की टीम के बयान दर्ज करने के बाद गांव में स्थिति तनावपूर्ण
पुलिस सुरक्षा की गारंटी दे व गांव की दलित बस्तियों में पुलिस की जाए तैनात
: रजत कल्सन
हिसार, 14 जून (हि.स.)। कई वर्ष पहले सामाजिक बहिष्कार के मामले में चर्चा
में आए गांव भाटला में दलित समुदाय के 11 लोगों ने गांव में सामाजिक बहिष्कार के आरोपियों
से जान व माल के संभावित खतरे के चलते गांव भाटला से पलायन कर दिया है। गांव से पलायन
करने वालों में से एक दलित जयभगवान ने बताया कि गांव में आज भी माहौल सामान्य नहीं
है तथा भाटला में दलितों के साथ कभी भी कोई घटना घट सकती है।
जयभगवान ने शनिवार को कहा कि जब से सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने गांव
का दौरा किया है तथा पीड़ितों के बयान लिए हैं तब से गांव में माहौल तनावपूर्ण हो गया
है। हांसी सदर थाना के एसएचओ ने भी आज तक गांव का दौरा नहीं किया है।
पुलिस पर आरोप
लगाते हुए पलायन करने वालों ने कहा कि जब भी दलितों के साथ कोई घटना होती है तो पुलिस
मकूदर्शक बनी खड़ी रहती है। पुलिस की कार्यशाली पर सवाल खड़े करते हुए भाटला दलित संघर्ष
समिति के सदस्य विकास भाटला, अजय भाटला, सचिन
चोपड़ा, राजेश कुमार, गुलाब सिंह व सुनील ने कहा कि हाल में ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा
गठित जांच टीम ने दो चरणों में भाटला सामाजिक बहिष्कार प्रकरण में दर्ज मामलों की सुप्रीम
कोर्ट के निर्देश पर पुनः जांच की थी तथा कई बार गांव का दौरा भी किया था।
करीबन
300 से अधिक दलितों के बयान भी दर्ज हुए थे जिसमें तथाकथित ऊंची जाति के ग्रामीणों
के दबाव के बावजूद दलित समाज के लोगों ने टीम को बताया था कि पिछले 7-8 सालों से उनका
सामाजिक बहिष्कार चल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियों ने हमेशा सामाजिक
बहिष्कार करने वालों की मदद की है तथा आज भी गांव में माहौल तनावपूर्ण है। उन्होंने
बताया कि टीम की जांच के आखिरी दिन हांसी विश्रामगृह में गांव भाटला के भाइचारा कमेटी
के उच्च जाति के लोगों ने मीडिया कर्मियों से बहस की थी तथा पीड़ितों के वकील रजत कल्सन
जो जांच टीम को कुछ दस्तावेज सौंपने आये हुआ थे। उनको देखकर भाइचारा कमेटी के लोगों
ने कहा कि इस काले कोट वाले ने और मीडिया वालों ने हमारे गांव का नाश कर दिया।
संघर्ष
समिति के सदस्यों ने बताया की इस दौरान वे मौके पर मौजूद थे तथा हमने तुरंत थाना शहर
हांसी के एसएचओ को शिकायत भी दी थी लेकिन एसएचओ ने आज तक इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज
नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित टीम को अपने बयान दर्ज करने वाले मीर सिंह ने भी
पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि हाल में ही जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित टीम हांसी
के विश्राम गृह में बयान दर्ज कर रही थी तब उसको विश्राम गृह के सामने जाट धर्मशाला
में बैठे गांव भाटला के दो तथागत ऊंची जाति के लोगों ने यह कहकर धमकाया था कि वे लोग
यह देखने आए हैं कि गांव का कौन-कौन दलित यहां पर बयान देने आ रहा है। पीड़ितों के अधिवक्ता रजत कल्सन ने कहा कि इस मामले
में उन्हें दलित ग्रामीण लगातार रिपोर्ट कर रहे हैं कि गांव का माहौल बद से बदतर होता
जा रहा है तथा गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर