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जम्मू, 14 जून (हि.स.)। शनिवार को जम्मू में कश्मीरी पंडित समुदाय के प्रमुख प्रतिनिधियों और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं का एक महत्वपूर्ण सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का आयोजन पानुन कश्मीर द्वारा किया गया जिसमें कश्मीरी पंडितों के भविष्य, पुनर्वास और उनके खिलाफ हुए अन्याय पर गंभीर मंथन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ए.के. रैना ने की, जबकि अश्वनी कुमार (वरिष्ठ भाजपा व कश्मीरी पंडित नेता) विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। सम्मेलन की शुरुआत में वीरेंद्र रैना, अध्यक्ष पानुन कश्मीर ने विषय की पृष्ठभूमि प्रस्तुत की। अधिवक्ता कश्मीरी लाल भट ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा और कमल बगाटी, महासचिव (संगठन), पानुन कश्मीर ने संचालन किया।
अपने संबोधन में अश्वनी कुमार ने समुदाय की चार सूत्रीय पुनर्वास नीति पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा, कश्मीरी पंडित अपने साथ हुए अत्याचारों को न तो भूल सकते हैं और न ही माफ करेंगे। एनएचआरसी भी यह स्पष्ट कर चुका है कि कश्मीरी पंडितों के खिलाफ नरसंहार जैसी घटनाएं हुई हैं। बिना न्याय और अपराधियों को सजा के कोई सुलह संभव नहीं। बिना आत्मसम्मान और अपने होमलैंड के, वापसी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। एच.एल. भट ने समुदाय द्वारा पिछले 35 वर्षों में पारित चार ऐतिहासिक प्रस्तावों की चर्चा की और कहा कि ये प्रस्ताव पंडितों के होमलैंड की मांग को मजबूती से दर्शाते हैं।
वीरेंद्र रैना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के प्रति समुदाय का समर्थन दोहराया लेकिन यह भी कहा कि राहत में बढ़ोतरी, दिल्ली में रह रहे राहतधारकों की समस्याएं, मंदिर-श्राइन विधेयक, और पीएम पैकेज कर्मचारियों की समस्याएं सरकार के ध्यान की अपेक्षा रखते हैं। समापन भाषण में ए.के. रैना ने कहा कि पिछले तीन दशकों में कश्मीरी पंडित समुदाय ने असाधारण साहस का परिचय दिया है और नकारात्मक प्रोपेगेंडा का अंत स्वयं ही हो जाएगा। उन्होंने समुदाय से एकजुटता और साझा संघर्ष की अपील की। इस सम्मेलन ने एक बार फिर कश्मीरी पंडित समुदाय के संगठनात्मक संकल्प, आत्मसम्मान और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए उठ रही आवाज़ को सशक्त किया।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा