कोबाइकटा सत्र की 46 बीघा ज़मीन पर अतिक्रमण, मुख्यमंत्री की सोशल मीडिया पोस्ट के बाद खुलासा
सीएम असम द्वारा सोशल मीडिया पर जारी मैप


नगांव (असम), 13 जून (हि.स.)। असम के सत्रों (मठ) की भूमि पर अतिक्रमण को लेकर एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सत्र भूमि समस्या की समीक्षा और परीक्षण के लिए गठित आयोग द्वारा 9 जून को मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा को विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के बाद यह मुद्दा चर्चा में आया। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को इस विषय को सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसके बाद सत्रों की ज़मीनों पर अतिक्रमण का यह गंभीर मामला सुर्खियों में आ गया।

बटद्रवा नरोवा सत्र के सत्राधिकार अम्लान ज्योति देव गोस्वामी ने इस संबंध में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, मुख्यमंत्री ने जो जानकारी साझा की है, वह वास्तव में भयावह है। आज भी कई सत्रों की ज़मीन अतिक्रमणकारियों के कब्ज़े में है। यह कैसे और किस स्तर पर हुआ, इसका विश्लेषण होना चाहिए और इन ज़मीनों को मुक्त कराकर सत्र संस्कृति को बचाने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए।

उल्लेखनीय है कि कोबाइकटा सत्र, महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की स्मृति से जुड़ा ऐतिहासिक स्थल है, जो बटद्रवा थाना क्षेत्र के दक्षिणी हिस्से में स्थित है। वर्ष 1983 से यह सत्र लगभग उपेक्षित अवस्था में है और वर्तमान में मात्र दो कट्ठा भूमि पर एक छोटे से नामघर और कुछ दीप जलाने वालों के सहारे अस्तित्व में है।

1983 तक यह सत्र करीब 200 परिवारों और भक्ति-वैष्णव अनुयायियों की उपस्थिति से नाम-कीर्तन से गूंजता था। लेकिन धीरे-धीरे लोग इसे छोड़कर अन्य जगहों पर बस गए। अब आयोग ने खुलासा किया है कि कोबाइकटा सत्र की 46 बीघा ज़मीन पर अतिक्रमणकारियों का कब्ज़ा है।

इसी तरह बटद्रवा क्षेत्र के कई अन्य ऐतिहासिक सत्र भी अतिक्रमण की चपेट में हैं। रामपुर सत्र, जहां श्रीमंत शंकरदेव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी, भी इसी तरह संकट में है। यह सत्र एक समय 600 बीघा ज़मीन का मालिक था, लेकिन अब सरकारी उपेक्षा और राजस्व विभाग की अनियमितताओं के चलते इसके नाम पर मात्र 297 बीघा ज़मीन रह गई है, जो वर्तमान में अतिक्रमण में है।

इसके अलावा बटद्रवा थाना क्षेत्र के उत्तर में स्थित बालिसत्र की 500 बीघा ग्रेज़िंग रिज़र्व भूमि, ऊपर डुमडुमिया सत्र की 500 बीघा, रजाबाड़ी ग्रेज़िंग रिज़र्व की 500 बीघा, शलगुरी लटेरी सत्र, पानबाड़ी सत्र की ज़मीन और बालिसत्र की साप्ताहिक बाज़ार वाली भूमि पर भी अतिक्रमण की पुष्टि हुई है। कई जगहों पर तो पक्के भवन बनाकर इसका अतिक्रमण किया गया है।

राज्य सरकार द्वारा इन मामलों में क्या ठोस कदम उठाए जाएंगे, इस पर अब सबकी नजर टिकी हुई है।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश