डोनेशन देकर डमी शिक्षकों से संचालित करवाई जा रही कक्षाएं, शिक्षिका घर बैठकर उठा रही तनख्वाह, जिला परिदर्शक ने किया रिपोर्ट तलब
शिक्षक


पूर्व मेदिनीपुर, 13 जून (हि. स.)। नचिंदा जीवनकृष्ण हाईस्कूल में डमी शिक्षकों से कक्षाएं संचालित करने की घटना को लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक (माध्यमिक) कार्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। गुरुवार को जिला विद्यालय निरीक्षक पलाश रॉय ने घटना के संबंध में कांथी के अतिरिक्त जिला विद्यालय निरीक्षक (माध्यमिक) से रिपोर्ट तलब की है। उन्हें एक स्थानीय अखबार में प्रकाशित खबर की प्रति भेजकर रिपोर्ट देने को कहा गया है। पलाश रॉय ने कहा कि स्कूल का दौरा कर रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

उल्लेखनीय है कि नचिंदा जीवनकृष्ण हाईस्कूल की अंग्रेजी शिक्षिका मौमिता माइति जाना लंबे समय से स्कूल नहीं जा रही हैं। वह कक्षाएं भी नहीं लेती हैं। उनका घर भूपतिनगर थाना अंतर्गत मुगबेरिया में है। उनके पति रवींद्रनाथ जाना भगवानपुर (2) ब्लॉक के स्वास्थ्य पदाधिकारी (बीएमओएच) के पद पर कार्यरत हैं उस पैसे से स्कूल ने पांच संविदा शिक्षकों को रखा है। सभी को पांच हजार रुपए प्रति शिक्षक मानदेय दिया जाता है। इस तरह एक शिक्षक की अनुपस्थिति में पांच डमी शिक्षकों को रखकर स्कूल चलाया जा रहा है। उस शिक्षक को भी वेतन मिलने में कोई दिक्कत नहीं है। स्कूल प्रबंधन समिति ने पूरे मामले को स्वीकार किया है। हर महीने स्कूल को मोटी रकम दान देकर दिन-ब-दिन स्कूल नहीं जाना नियम के खिलाफ है। स्कूल प्रबंधन समिति और स्कूल के अधिकारी इस अवैध कृत्य को बढ़ावा दे रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रबंधन समिति के एक धड़े ने शुरू में इस अनियमितता से समझौता नहीं करने की सलाह दी थी। लेकिन, प्रबंधन समिति के अध्यक्ष समेत दूसरे धड़े ने इस पर अमल नहीं किया। जिसके कारण कई दिनों से अंग्रेजी शिक्षक को 40 हजार रुपए प्रति माह के बदले लाभ दिया जा रहा है।

इससे पहले चंडीपुर ब्लॉक के भगवानपुर प्राथमिक विद्यालय में भी डमी शिक्षक रखने का ऐसा ही मामला सामने आया था। तृणमूल कांग्रेस के जिला परिषद सदस्य भी उस स्कूल में शिक्षक हैं। खुद स्कूल जाने के बजाय, वह अपने भाई की पत्नी से कक्षाएं संचालित कराते थे। मीडिया में घटना सामने आने के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक (प्राथमिक) ने जिला परिषद सदस्य को तलब किया। डमी शिक्षक को स्कूल आने पर रोक लगा दी गई।

भगवानपुर (2) के ब्लॉक स्वास्थ्य अधिकारी रवींद्रनाथ जाना ने कहा कि उनकी पत्नी मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं। उनका कांथी में मनोचिकित्सक के पास इलाज चल रहा है। इसलिए, उनके लिए स्कूल जाकर कक्षाएं संचालित करना संभव नहीं है। इस स्थिति में, मैं स्कूल के अधिकारियों और प्रबंधन समिति के साथ चर्चा करने के बाद हर महीने 40 हजार रुपए का भुगतान करता हूं। मैंने उनसे अनुबंध पर शिक्षक रखने को कहा है ताकि पढ़ाई में कोई व्यवधान न हो। मैंने उनसे कहा है कि अगर अधिक शिक्षकों की जरूरत होगी तो मैं स्कूल के साथ सहयोग करूंगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय