निजीकरण के बिडिंग डॉक्यूमेंट पर विद्युत नियामक आयोग के वर्तमान अध्यक्ष नहीं दे सकते कोई अभिमत - संघर्ष समिति
निजीकरण के बिडिंग डॉक्यूमेंट पर विद्युत नियामक आयोग के वर्तमान अध्यक्ष नहीं दे सकते कोई अभिमत - संघर्ष समिति


गोरखपुर, 12 जून (हि.स.)। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर ने कहा है कि निजीकरण के आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर विद्युत नियामक आयोग के वर्तमान अध्यक्ष को कोई अभिमत देने का नैतिक व कानूनी अधिकार नहीं है। विद्युत नियामक आयोग को पॉवर कारपोरेशन द्वारा अवैध ढंग से नियुक्त किये गये कंसलटेंट द्वारा तैयार कराए गए निजीकरण के आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर अपना अभिमत नहीं देना चाहिए।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों इं. जीवेश नन्दन , इं. जितेन्द्र कुमार गुप्त, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, विकास श्रीवास्तव, जगन्नाथ यादव, राकेश चौरसिया, राजकुमार सागर, विजय बहादुर सिंह, करुणेश त्रिपाठी, ओम गुप्ता, एवं सत्यव्रत पांडे, आदि तथा जे ई संगठन के पदाधिकारियों इं. राघवेन्द्र द्विवेदी, इं. दीपक श्रीवास्तव, इं. विजय सिंह, इं. श्याम सिंह, इं. एन के सिंह , इं. भारतेन्दु चौबे एवं इं. रणंजय पटेल ने आज यहां जारी बयान में बताया कि पता चला है कि विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन अरविन्द कुमार से आज पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन डॉ आशीष गोयल, निदेशक वित्त निधि नारंग, नियामक आयोग के सदस्य संजय सिंह और अवैध ढंग से नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन के साथ पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु आरएफपी डॉक्यूमेंट पर नियामक आयोग की संस्तुति लेने के मामले पर एक घण्टे से अधिक बातचीत की है।

संघर्ष समिति ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग को अवैध ढंग से नियुक्त किए गए, झूठा शपथ पत्र देने वाले और फर्जीवाडा स्वीकार कर लेने वाले ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन द्वारा बनाए गए निजीकरण के आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर पॉवर कारपोरेशन से कोई बात नहीं करनी चाहिए। संघर्ष समिति ने कहा कि किसी भी नियम के तहत विद्युत नियामक आयोग को पावर कॉरपोरेशन के कहने पर निजीकरण के किसी दस्तावेज़ पर अभिमत नहीं देना चाहिए।

संघर्ष समिति ने कहा कि सबसे मुख्य बात यह है कि विद्युत नियामक आयोग के वर्तमान अध्यक्ष अरविंद कुमार ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन के पद पर रहते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के साथ 06 अक्टूबर 2020 को एक लिखित समझौते पर हस्ताक्षर किया है। यह समझौता उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना एवं तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की उपस्थिति में हुआ था।

इस समझौते में लिखा गया है कि “पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लिया जाता है । इसके अतिरिक्त किसी अन्य व्यवस्था का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार हेतु कर्मचारियों एवं अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जाएगी । कर्मचारियों एवं अभियंताओं को विश्वास में लिए बिना उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा।“

संघर्ष समिति ने कहा कि 06 अक्टूबर 2020 के इस समझौते पर अरविंद कुमार के हस्ताक्षर हैं। ऐसी स्थिति में जब अरविंद कुमार ने ऐसे दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया है, जिसमें पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की बात है और साफ लिखा है कि उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा, तो अरविंद कुमार विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष रहते हुए कैसे पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर अपना अभिमत देने हेतु पॉवर कारपोरेशन और ग्रांट थॉर्टन के साथ मीटिंग कर रहे हैं।

संघर्ष समिति ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग में दूसरे सदस्य संजय सिंह उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के कर्मचारी रह चुके है। ऐसी स्थिति में पावर कॉरपोरेशन की सब्सिडियरी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के डॉक्यूमेंट पर वे भी अपना अभिमत नहीं दे सकते। विद्युत नियामक आयोग में आज की तारीख में कोई मेंबर लॉ नहीं है। इस तरह विद्युत नियामक आयोग का तकनीकी दृष्टि से कोरम ही पूरा नहीं है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए विद्युत नियामक आयोग को निजीकरण के किसी भी डॉक्यूमेंट को कोई मंजूरी नहीं देनी चाहिए और न ही इस सम्बन्ध में कोई मीटिंग करनी चाहिए।

संघर्ष समिति ने एक बार पुनः कहा है कि पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष झूठे आंकड़े देकर, धमकी देकर और कर्मचारियों की सेवा शर्तों के बारे में उन्हें गुमराह करके निजीकरण की जिद पर अड़े हुए जिससे इस भीषण गर्मी में ऊर्जा निगमों में अनावश्यक तौर पर औद्योगिक अशांति का वातावरण बना हुआ है। बिजली कर्मचारी नहीं चाहते कि इस भीषण गर्मी में उपभोक्ताओं को कोई तकलीफ हो। पावर कारपोरेशन को निजीकरण की जिद छोड़ देनी चाहिए जिससे बिजली कर्मचारी पूर्ण मनोयोग के साथ उपभोक्ताओं को बिजली देने के कार्य में जुटे रहे।संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 197 वें दिन प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय