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गोड्डा, 12 जून (हि.स.)। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कोल इंडिया द्वारा संचालित एक पेड़ मां के नाम कार्यक्रम के तहत राजमहल परियोजना क्षेत्र में एक नई और सराहनीय पहल की गई है। जहां अधिकतर कार्यक्रम पौधारोपण तक सीमित रह जाते हैं, वहीं राजमहल क्षेत्र ने पर्यावरण संरक्षण के एक व्यापक दृष्टिकोण को अपनाते हुए तालाबों के जल को शुद्ध करने की दिशा में ठोस कदम उठाया है।
इस अभियान के तहत परियोजना क्षेत्र के प्रभावित एवं विस्थापित गांवों में स्थित पुराने तालाबों को स्वच्छ बनाने का बीड़ा उठाया गया है। तालाबों में वर्षों से जमा अशुद्धियों, जलकुंभी, प्लास्टिक और अन्य कचरे को विशेष यंत्रों की सहायता से हटाया जा रहा है। यह कार्य स्थानीय पारिस्थितिकी को संवारने के साथ-साथ ग्रामीणों के लिए स्वच्छ जल का एक स्थायी स्रोत उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
इस पहल की शुरुआत ऊर्जा नगर स्थित ऐतिहासिक बासुआ तालाब से की गई, जहां महाप्रबंधक (परिचालन) सतीश मुरारी, पर्यावरण विभाग के गणेश कुमार, अन्य विभागीय अधिकारी और स्थानीय ग्रामीणों की उपस्थिति में कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम के दौरान महाप्रबंधक सतीश मुरारी ने कहा कि पौधारोपण तो पर्यावरण सुधार का पहला कदम है, लेकिन जल संरक्षण और स्वच्छता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। तालाबों की सफाई सिर्फ जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने का कार्य नहीं, बल्कि विस्थापित गांवों के जीवन में पुनः स्वच्छता और समृद्धि लाने का प्रयास है। ‘एक पेड़ मां के नाम’ के साथ यह जल शुद्धिकरण अभियान एक समग्र पर्यावरणीय आंदोलन का स्वरूप ले रहा है, जो कोल इंडिया की सामाजिक और पारिस्थितिकीय जिम्मेदारियों को दर्शाता है।
स्थानीय ग्रामीणों ने भी इस पहल की सराहना की और उम्मीद जताई कि अन्य औद्योगिक इकाइयां भी इसी तरह प्रकृति के संरक्षण में भागीदारी निभाएंगी। कार्यक्रम के अगले चरण में अन्य तालाबों की सफाई की रूपरेखा तैयार कर ली गई है, जिसमें सामुदायिक भागीदारी को भी शामिल किया जाएगा।
यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक उदाहरण बनेगी, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाएगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / रंजीत कुमार