Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
मंडी, 12 जून (हि.स.)। मंडी जिला की खूबसूरत वादियों में सराज का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। सराज निर्वाचन क्षेत्र के थुनाग उप-मंडल मुख्यालय से जंजैहली मार्ग पर स्थित धार-जरोल पंचायत के अंतर्गत मझाखल गांव अब पांडव शिला गांव के नाम से प्रसिद्ध में बाखली नदी के बांयें तट पर एक बहुत विशाल चट्टान पर दूसरी विशाल चट्टान इस प्रकार टिकी हुई है कि यदि इस ऊपर वाली चट्टान को श्रद्धालु और पर्यटक हथेली से हिलाते है तो यह चट्टान हिलने लगती है। इस शिला की स्थापना पांडव काल मे हुई थी।
हिमाचल प्रदेश के स्थान नाम व्युत्पत्ति विवेचनात्मक अध्ययन पुस्तक मे लिखा है कि है कि पांडव काल में यह चट्टान यहा रास्ते पर पड़ी थी। भीम ने इसे रास्ते से हटा दिया। जो नीचे दूसरे बड़े पत्थर पर टिक गई। इस चट्टान को हथेली से हिलाने का प्रयास करे तो यह चट्टान हिलती है। चट्टान को हिलाने के बाद श्रद्धालु इस चट्टान के ऊपर छोटा सा पत्थर-कंकड़ फैकते हैं। मान्यता है कि यदि फैंका गया पत्थर-कंकड़ इस हिलने वाली विशाल पाण्डव शिला के ऊपर टिक जाता है तो आस्था और विश्वास वाले श्रद्धालु की सुखपूर्वक और समृद्ध जीवन जीने की मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
दोनों शिलाओ के मध्य एक शिवलिंग भी स्थापित है। इस श्री विग्रह पर श्रद्धालुओ ने अपनी मन्नत पूरी होने पर लोहे के त्रिशूल अर्पित किए हैं। गांव के युवा नूतन प्रकाश निशु ने बताया कि यह शिला पाडवों के हुक्के की कटोरी का चुगल थी। लगभग चार-पांच वर्ष पूर्व तक इस शिला की गांव के स्व. राम नामक व्यक्ति निरंतर पूजा किया करते थे। लेकिन अब यहा पर कोई भी पुजारी नही है।
एक अन्य मान्यता के आधार पर साहित्यकार, इतिहासकार और शिक्षाविद डाॅक्टर हिमेंद्र बाली हिम का कहना है कि करसोग की भंथल पंचायत के रिक्की गांव की पूज्या नागणी जान के साथ भी इस पाण्डव शिला का संबंध है। डाॅक्टर बाली का कहना है कि पांडव काल मे करसोग के सनारली क्षेत्र मे नर-भक्षी यक्षिणी का आतंक था। इसकी एक बहन सराज क्षेत्र मे अपने आतंक के लिए कुख्यात थी। ये दोनो बहने इतनी शक्तिशाली थी कि ये दोनो शिकारी माता को चुन्नौती देने की सामर्थ्य रखती थी। जब पांडव लाक्षागृह की घटना के बाद इस क्षेत्र मे आए तो भीम ने इन दोनो का वध कर दिया। वध करने के बाद दोनो मे देवत्व की स्थापना की। तब से ये दोनो चट्टाने श्रद्धालुओ द्वारा अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए पूजी जाती हैं। ---------------
हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा