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शिमला, 12 जून (हि.स.)। मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने केंद्र में भाजपा सरकार के 11 साल पूरे होने पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि भाजपा केवल जश्न मना रही है, जबकि हिमाचल प्रदेश के हित पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य से चुने गए भाजपा के सांसद प्रदेश के मुद्दे केंद्र में उठाने में पूरी तरह विफल रहे हैं।
चौहान ने गुरूवार काे एक बयान में कहा कि हिमाचल के कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस), आपदा राहत के लिए विशेष पैकेज और बीबीएमबी की बकाया देनदारी जैसे अहम मुद्दों पर भाजपा सांसदों की चुप्पी राज्य की जनता के साथ धोखा है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार हिमाचल को अपना दूसरा घर कहा, लेकिन यह सिर्फ भाषणों तक ही सीमित रहा।
उन्होंने प्रधानमंत्री पर विदेश यात्रा के दौरान सेब पर आयात शुल्क घटाने का आरोप लगाया। चौहान ने कहा कि जहां एक ओर हिमाचल के बागवान विदेशी सेब से पहले ही परेशान हैं, वहीं हाल ही में अमेरिका दौरे के दौरान प्रधानमंत्री ने सेब पर आयात शुल्क 75% से घटाकर 50% कर दिया, जिससे स्थानीय उत्पादकों को नुकसान हुआ है। वहीं, शीतल पेयों में पांच प्रतिशत फलों का रस मिलाने का वादा भी अभी तक पूरा नहीं किया गया।
नरेश चौहान ने कहा कि 2023 की आपदा के बाद केंद्र सरकार ने राज्य को राहत के नाम पर एक भी रुपये की विशेष सहायता नहीं दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिमाचल को मिले 10,000 करोड़ रुपये केवल केंद्र प्रायोजित योजनाओं का हिस्सा हैं, जिन पर राज्य का अधिकार पहले से है।
उन्होंने भाजपा नेताओं पर हिमाचल में केंद्र की योजनाओं की झूठी उपलब्धियां गिनाने का आरोप लगाया और कहा कि धरातल पर उनका कोई असर नहीं दिख रहा है। इसके विपरीत मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की सरकार ने पौंग डैम विस्थापितों को भूमि प्रमाण-पत्र देकर उनकी समस्याओं के समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं।
चौहान ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर प्रदेश के 1.36 लाख कर्मचारियों को राहत दी है, जबकि केंद्र सरकार ने राज्य को मिलने वाले 16,000 करोड़ रुपये के अनुदान को रोक रखा है और एनपीएस की 9,000 करोड़ रुपये की राशि भी नहीं दी है।
उन्होंने भाजपा सरकार पर 2014 में किए गए वायदों को न निभाने का आरोप लगाते हुए कहा कि महंगाई, बेरोजगारी और काले धन जैसे मुद्दे अब भी जस के तस हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के निर्णय ने देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचाया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा